MP HIGH COURT पर दबाव बनाने ग्वालियर के फूल बाग मैदान में नियम विरुद्ध प्रदर्शन

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए कुछ बाहरी लोगों ने ग्वालियर के फूल बाग मैदान में प्रशासन की अनुमति के बिना, नियम विरुद्ध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में लोकल ग्वालियर एवं उत्तर प्रदेश और राजस्थान से आए हुए 3000 लोग शामिल हुए थे। इन लोगों ने धमकी दी है कि, न्यायालय प्रशासन का फैसला कुछ भी हो, वह ग्वालियर हाईकोर्ट में बाबा अंबेडकर की मूर्ति लगाकर रहेंगे। 

ग्वालियर में महापंचायत के मंच से हाईकोर्ट प्रशासन को धमकी

यहां स्पष्ट करना जरूरी है कि भीम आर्मी, इस मामले में प्रदर्शनकारियों का समर्थन नहीं कर रही है, इसलिए उसका नाम का दुरुपयोग करते हुए कई ऐसे संगठनों के बैनर तले प्रदर्शन किया जा रहे हैं जो मध्य प्रदेश में अपना प्रभावी अस्तित्व नहीं रखते हैं। आज ग्वालियर में भीम आर्मी भारत एकता मिशन के नाम से किसी संगठन के बैनर तले महापंचायत का आयोजन किया गया। महापंचायत के मंच से भीम आर्मी भारत एकता मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह समेत कई नेताओं ने घोषणा की कि चाहे जो हो, अंबेडकर की मूर्ति ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में ही स्थापित की जाएगी। यदि शांतिपूर्वक बात नहीं मानी गई, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में जातिवाद की आग भड़का रही है

यह मामला ग्वालियर हाईकोर्ट के वकीलों के दो पक्षों के बीच में है। इनमें से एक पक्ष अपनी पॉलीटिकल पावर दिखाने के लिए निर्धारित अनुमति के बिना ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करना चाहता है। मामला हाई कोर्ट का है और सरकार या प्रशासन इस मामले में कोई दखल नहीं दे सकते हैं इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी लगातार इस मामले में सरकार को टारगेट कर रही है। कल कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस करके आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ग्वालियर हाईकोर्ट में डॉ अंबेडकर की मूर्ति नहीं लगने दे रहा है। कांग्रेस के नेता प्रदर्शनकारियों को बैकअप दे रहे हैं। जब मध्य प्रदेश में उन्हें कोई समर्थन नहीं मिला तो उन्होंने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और राजस्थान से कुछ नेताओं को इकट्ठा करके ग्वालियर में प्रदर्शन करवाया। हालांकि ग्वालियर पुलिस के कारण यह प्रदर्शन भी सफल नहीं हो पाया। 

ग्वालियर हाईकोर्ट में डॉक्टर अंबेडकर की मूर्ति का विवाद क्या है

19 फरवरी 2025 को एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ग्वालियर आए थे। यहां एडवोकेट विश्वजीत रतोनिया, धर्मेंद्र कुशवाह और राय सिंह ने एक ज्ञापन सौंपा था। जिसमें ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर की मूर्ति स्थापना की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस ने मौखिक सहमति दी थी। यही से विवाद उपस्थित हो गया। माननीय चीफ जस्टिस महोदय ना तो इस प्रकार की कोई मौखिक सहमति दे सकते हैं और ना ही उनकी मौखिक सहमति के आधार पर किसी भी प्रकार का निर्माण किया जा सकता है। इसके बावजूद हाई कोर्ट परिसर में प्लेटफॉर्म बनवाया गया और आपस में चंदा करके मूर्ति का आर्डर कर दिया गया। जबकि यदि सरकारी परिसर में कोई निर्माण अथवा स्थापना होनी है तो वह सरकारी बजट से होगी। लोग चंदा करके हाई कोर्ट के अंदर मूर्ति नहीं लगा सकते। इसी बात को लेकर विवाद हो रहा है। बार एसोसिएशन का कहना है कि, यह उनके क्षेत्राधिकार है और इस पर वही फैसला करेंगे। इस मामले में किसी भी पॉलीटिकल पार्टी का इस मामले में दखल स्वीकार नहीं किया जाएगा।

नियम अंतर्गत क्या करना चाहिए 

यदि इस मामले में पॉलिटिक्स नहीं हो रही है और प्रदर्शनकारी सही में बाबा साहेब की प्रतिमा को स्थापित करवाना चाहते हैं तो उन्हें अपने वकीलों की टीम इस काम पर लगाना चाहिए। भरे मंच से हिंसा की धमकी देने के स्थान पर हाई कोर्ट प्रशासन एवं बार एसोसिएशन में जाकर बात करनी चाहिए। मध्य प्रदेश में ऐसे वकीलों की बड़ी संख्या उपलब्ध है, जो किसी भी प्रकार के अन्य के खिलाफ बिना कोई फीस लिया हाईकोर्ट में मामले लड़ते हैं। अनुसूचित जाति जनजाति के युवाओं को नौकरी दिलवाने के लिए जनहित याचिकाएं लगाई जाती है। कई प्रकार के कानूनी रास्ते हैं लेकिन इस प्रकार से प्रशासन की अनुमति के बिना प्रदर्शन करना, नियमों का उल्लंघन करना और जनता के बीच में दहशत का माहौल पैदा करना, यह साबित करता है कि, इस मामले में सिर्फ पॉलिटिक्स की जा रही है। उनकी निष्ठा डॉक्टर अंबेडकर के प्रति नहीं बल्कि बाबा अंबेडकर के बहाने अपनी पॉलिटिक्स जमाने पर है।

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