Madhya Pradesh OBC आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, जब कानून बनाया तो लागू क्यों नहीं किया?

नई दिल्ली, 25 जून 2025: मध्य प्रदेश में OBC (Other Backward Classes) के लिए 27% आरक्षण लागू न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सरकार के रवैये पर आश्चर्य जताते हुए जवाब तलब किया है कि आखिर क्यों विधानसभा द्वारा 14 अगस्त 2019 को पारित कानून को लागू नहीं किया जा रहा, जबकि इस कानून पर कोई स्टे नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई 2025 को होगी। 

मध्य प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण का मामला, सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही का विवरण

सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच, जस्टिस के.बी. विश्वनाथन और जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की खंडपीठ ने बुधवार को कोर्ट क्रमांक 11 में याचिका WP(c) 606/2025 पर सुनवाई की। याचिका में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा OBC आरक्षण लागू न करने और हाईकोर्ट के 19 मार्च 2019 के अंतरिम आदेश का हवाला देकर कानून को लागू न करने की बात उठाई गई थी। कोर्ट ने सरकार के इस कंडक्ट पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि विधानसभा द्वारा बनाए गए कानून पर कोई रोक नहीं है तो फिर इसे लागू क्यों नहीं किया गया है। 

सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत करने की तारीख 4 जुलाई

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा OBC आरक्षण से जुड़े प्रकरणों की सुनवाई से इनकार करने के बाद सैकड़ों अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। PSC (Public Service Commission) और अन्य भर्तियों में आरक्षण न मिलने से प्रभावित उम्मीदवारों ने याचिका दायर कर मांग की कि 27% OBC आरक्षण को तत्काल लागू किया जाए। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और वरुण ठाकुर ने पक्ष रखा। लंबी बहस के बाद कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 4 जुलाई को उपस्थित होने के निर्देश दिए।

मध्य प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण पर विवाद क्या है?

मध्य प्रदेश विधानसभा ने 14 अगस्त 2019 को OBC के लिए 27% आरक्षण का कानून पारित किया था, लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट के 19 मार्च 2019 के अंतरिम आदेश का हवाला देते हुए इसे लागू नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल उठाया कि जब कानून पर कोई स्टे नहीं है, तो फिर सरकार इसे लागू क्यों नहीं कर रही। कोर्ट ने इसे गंभीर मामला मानते हुए विशेष सुनवाई की और सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा।

याचिकाकर्ताओं के वकील की दलील

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दलील दी कि सरकार का यह रवैया न केवल OBC समुदाय के अधिकारों का हनन है, बल्कि इससे प्रदेश में संवैधानिक संकट भी गहरा रहा है। 

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