CORONAVIRUS मध्य प्रदेश में तेजी से बढ़ रहा है, 100 से अधिक एक्टिव केस, डॉक्टर भी संक्रमित

भारत में एक बार फिर से कोविड-19 (COVID-19) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और मध्य प्रदेश भी इसकी चपेट में आ रहा है। प्रदेश में वर्तमान में 100 से अधिक सक्रिय मामले (active cases) दर्ज किए गए हैं, जिनमें तीन मौतें भी हो चुकी हैं। इनमें से दो मौतें इंदौर और एक खरगोन में हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी क्लाइमेट चेंज के चैलेंज को समझे बिना मौसम के परिवर्तन का इंतजार कर रहे हैं। अब तक RTPCR प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।

मध्य प्रदेश में कोविड-19 की वर्तमान स्थिति

सक्रिय मामले: मध्य प्रदेश में कुल सक्रिय कोविड-19 मामले 100 से अधिक हो गए हैं, जिनमें इंदौर में 92 मामले सबसे ज्यादा हैं।
मृत्यु: हाल के दिनों में तीन लोगों की मौत दर्ज की गई है, जिसमें इंदौर में दो और खरगोन में एक व्यक्ति शामिल है।
नए मामले: इंदौर में पिछले तीन दिनों में छह नए मरीज सामने आए हैं, जबकि जनवरी 2025 से अब तक कुल 11 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं।
अस्पतालों में स्थिति: ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में तीन डॉक्टर और भोपाल में अन्य मेडिकल स्टाफ भी कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय पर लापरवाही के आरोप

विपक्षी नेता और कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने मध्य प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय पर कोविड-19 के प्रति उदासीनता का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, "मध्य प्रदेश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार गहरी नींद में है। न तो RT-PCR टेस्टिंग हो रही है, न ही मेडिकल कॉलेजों में वायरोलॉजी लैब का उपयोग किया जा रहा है।"

RT-PCR टेस्टिंग में कमी: सरकारी अस्पतालों में RT-PCR टेस्टिंग लगभग बंद है, जिसके कारण सटीक आंकड़े सामने नहीं आ रहे हैं।
वायरोलॉजी लैब की स्थिति: कोविड-19 महामारी के दौरान प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों में वायरोलॉजी लैब स्थापित की गई थीं, लेकिन अब ये लैब धूल खा रही हैं। इनमें न तो वैज्ञानिक (scientists) हैं, न ही टेक्नीशियन (technicians), और न ही अन्य आवश्यक स्टाफ।
ऑक्सीजन प्लांट बंद: प्रदेश में 42 ऑक्सीजन प्लांट पिछले दो वर्षों से बंद पड़े हैं, जो आपात स्थिति में बड़ा संकट पैदा कर सकते हैं।

मैनपावर की कमी और कोरोना योद्धाओं की मांग

कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान अस्थाई तौर पर नियुक्त किए गए कोरोना योद्धाओं (corona warriors) को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बजट की कमी का हवाला देकर निकाल दिया था। अब, जब मामले फिर से बढ़ रहे हैं, विशेषज्ञों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने स्थाई बहाली (permanent reinstatement) की मांग की है।

मैनपावर की जरूरत: विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते मामलों को देखते हुए मेडिकल स्टाफ की तत्काल आवश्यकता है।

कोरोना योद्धाओं की मांग: स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि जिन कर्मचारियों ने महामारी के दौरान जान जोखिम में डालकर काम किया, उन्हें स्थाई नौकरी दी जाए।

स्वास्थ्य विभाग का दावा
स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि स्थिति नियंत्रण में है। ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. आरकेएस धाकड़ ने कहा, "6 से 7 जूनियर डॉक्टर पॉजिटिव पाए गए हैं, लेकिन सभी मामले हल्के हैं और निगरानी में हैं।" जाबलपुर स्वास्थ्य विभाग ने भी दावा किया कि कोविड के नए वैरिएंट से निपटने की पूरी तैयारी है।

विशेषज्ञों की चेतावनी
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि टेस्टिंग की कमी के कारण वास्तविक मामले आंकड़ों से कहीं अधिक हो सकते हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग (contact tracing) और फॉगिंग जैसी मानक प्रक्रियाएं (SOPs) भी नहीं हो रही हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

सरकार से अपील
तत्काल जांच शुरू करें: RT-PCR टेस्टिंग को बढ़ाया जाए और वायरोलॉजी लैब को फिर से सक्रिय किया जाए।
ऑक्सीजन प्लांट चालू करें: बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांट को तुरंत शुरू किया जाए ताकि आपात स्थिति से निपटा जा सके।
जागरूकता अभियान: जनता को मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए जागरूक किया जाए।
मैनपावर की बहाली: निकाले गए कोरोना योद्धाओं की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाए। 

नोट: यह समाचार नवीनतम उपलब्ध जानकारी और सोशल मीडिया पोस्ट पर आधारित है, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग और मंत्रालय की ओर से किसी भी प्रकार के आंकड़े जारी नहीं किया जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि, मौसम का परिवर्तन होने और मानसून के आ जाने के बाद यह स्थिति अपने आप ठीक हो जाएगी।

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