सुनील सिंह परिहार, प्रांताध्यक्ष, अतिथि शिक्षक समन्वय समिति क्या कहना है कि, विगत 17 वर्षों में सैकड़ों अतिथि शिक्षकों की सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है। उनके परिवार को आज तक सरकार की ओर से एक रु की भी आर्थिक सहायता नहीं दी गई है। 17 वर्ष की सेवा के बाद भी कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा का लाभ नहीं दिया जाता है और ना ही अवकाश की पात्रता है। इससे भी ज्यादा घोर अन्याय अतिथि शिक्षक बहिनों के साथ है उनको प्रसूति अवकाश तक नहीं मिलता।
अनुभवी अतिथि शिक्षकों के लिए एक नया कैडर बनाया जाए
आज एक वर्ष और 17 वर्ष के अतिथि शिक्षक में कोई अंतर नहीं है। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी अतिथि शिक्षकों पर नए नए प्रयोग करते रहते हैं। इनकी नासमझदारी से अतिथि शिक्षक व्यवस्था मजाक बन गई है। अतिथि शिक्षक व्यवस्था सुधार के नाम से वर्षों से कार्यरत अनुभवी अतिथि शिक्षकों को बेरोजगार किया जाता रहा है। अभी हाल ही में अतिथि शिक्षक पंजीयन और सत्यापन का आदेश जारी हुआ है। पोर्टल पर पहले से ही लगभग 12 लाख अतिथि शिक्षक पंजीकृत हैं। अन्य राज्यों के लोगों के लिए भी पंजीयन शुरू कर दिया है। सरकार सबसे पहले वर्षों से कार्यरत अतिथि शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित करे। दस वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले अतिथि शिक्षकों को संविदा शिक्षक बनाकर नया कैडर बनाए। एक से नौ वर्ष वाले अतिथि शिक्षकों को वरीयताक्रम में प्राथमिकता देकर सेवा का अवसर दिया जाय। इसके लिए विगत सत्र में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को यथावत रखना चाहिए। रिक्त पदों पर अनुभवी अतिथि शिक्षकों को वरीयताक्रम में सेवा का अवसर दिया जाय।
10 मई की घोषणाओं को पूरा किया जाए
अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार ने मांग की है सबसे पहले अतिथि शिक्षक भर्ती व्यवस्था में सुधार हो और चरणबद्ध तरीके से नियमितीकरण के लिए नीति बनाई जाय। प्रदेश सचिव रविकांत गुप्ता ने मांग की है सरकार गुरुजियों की भांति विभागीय परीक्षा, वार्षिक अनुबंध और सीधी भर्ती में बोनस अंक देने वाली घोषणाएं पूरी करे। प्रदेश महासचिव रामस्वरूप गुर्जर ने बताया है कि 10 मई को भोपाल में प्रदेश स्तरीय बैठक आयोजित कर आगामी रणनीति बनाएंगे।
अतिथि शिक्षकों का मजदूरी करना मध्यप्रदेश सरकार के लिए कलंक है
अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के संस्थापक पी डी खैरवार ने बताया है सरकार कि वादाखिलाफी से स्कूल शिक्षा विभाग में लगभग 80 हजार और जनजाति विभाग में लगभग 45 हजार अतिथि शिक्षक 30 अप्रैल से बेरोजगार हो गए हैं। गौरतलब है कि 2 सितंबर 2023 को मध्यप्रदेश सरकार ने सार्वजनिक रूप से वार्षिक अनुबंध करने की घोषणा की थी। सरकार अपने वादे को निभाकर अतिथि शिक्षकों की सेवाएं निरंतर जारी रखे। प्रदेश के सवा लाख अतिथि शिक्षक कैसे अपने परिवार का भरण पोषण करेंगे। वैसे भी उनको बहुत ही अल्प मानदेय दिया जाता है। विगत वर्षों में अतिथि शिक्षक बेरोजगार होने पर सब्जी का ठेला, चाट और टिक्की बेचकर, तेंदू पत्ता तोड़कर और हजारों लोग मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं। 17 वर्ष की सेवा के बाद अतिथि शिक्षकों का मजदूरी करना मध्यप्रदेश सरकार के लिए कलंक है।
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