अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने चेतावनी जारी की है कि सूर्य (Sun) पर एक सक्रिय क्षेत्र (active zone) के कारण उत्पन्न होने वाले सौर तूफान (solar storms) और खराब अंतरिक्ष मौसम (space weather) आने वाले दिनों और हफ्तों में पृथ्वी को प्रभावित कर सकते हैं। इस तूफान से बिजली ग्रिड (power grids), रेडियो संचार (radio communications), उपग्रह नेविगेशन (satellite navigation), और अंतरिक्ष यात्रियों (astronauts) व अंतरिक्ष यान (spacecraft) पर खतरा मंडरा रहा है। यह सौर गतिविधि (solar activity) कई देशों को प्रभावित कर सकती है, जिसके बारे में आगे विस्तार से बताया गया है।
सूरज पर कितनी तारीख को ब्लास्ट हुआ और वह कितना शक्तिशाली है?
नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी (Solar Dynamics Observatory) ने 14 मई 2025 को सुबह 8:35 बजे (GMT) सूर्य के सनस्पॉट क्षेत्र AR4087 से निकले 2025 के सबसे शक्तिशाली सौर विस्फोट (solar flare) को दर्ज किया। इसे X2.7 श्रेणी का वर्गीकृत किया गया, जो सौर विस्फोटों की सबसे तीव्र श्रेणी है। इस विस्फोट ने मध्य पूर्व (Middle East), यूरोप (Europe), और एशिया (Asia) में R3-स्तर के रेडियो ब्लैकआउट (radio blackouts) कर दिए, जिससे उच्च-आवृत्ति रेडियो संचार (high-frequency radio communications) लगभग 10 मिनट तक बाधित रहा।
सौर तूफान का किन देशों पर असर पड़ेगा?
सौर तूफान का प्रभाव वैश्विक स्तर पर हो सकता है, विशेष रूप से उन देशों में जो तकनीकी बुनियादी ढांचे (technical infrastructure) और उपग्रह-आधारित सेवाओं (satellite-based services) पर निर्भर हैं। निम्नलिखित क्षेत्रों और देशों पर प्रभाव की संभावना है:
- यूरोप: यूके (UK), आयरलैंड (Ireland), जर्मनी, फ्रांस, और स्पेन जैसे देशों में रेडियो संचार और बिजली ग्रिड पर असर पड़ सकता है। स्पेन में हाल ही में बिजली ब्लैकआउट (power blackout) के बाद मोबाइल और इंटरनेट नेटवर्क (mobile and internet networks) ठप हो गया था।
- मध्य पूर्व: सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), और इजरायल जैसे देशों में पहले ही रेडियो ब्लैकआउट देखे गए हैं।
- एशिया: भारत, जापान, चीन, और दक्षिण कोरिया जैसे तकनीकी रूप से उन्नत देशों में उपग्रह नेविगेशन और रेडियो संचार पर प्रभाव पड़ सकता है।
- उत्तरी अमेरिका: संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा, विशेष रूप से उच्च अक्षांश (high-latitude) वाले क्षेत्र, प्रभावित हो सकते हैं।
- ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड: दक्षिणी गोलार्ध में इन देशों में भी तकनीकी व्यवधान और औरोरा (auroras) दिखाई दे सकते हैं।
- अंतरिक्ष में प्रभाव: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) और अन्य अंतरिक्ष यान पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए विकिरण (radiation) का खतरा बढ़ सकता है।
औरोरा विशेषज्ञ की चेतावनी:
औरोरा विशेषज्ञ (aurora expert) विंसेंट लेडविना ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X पर चेतावनी दी, “यह स्थिति तीव्र हो रही है। यह सक्रिय क्षेत्र (active region) जैसे-जैसे और दृश्यमान होगा, इसका प्रभाव बढ़ सकता है।” उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र ने कुछ घंटे पहले M5.3 विस्फोट भी उत्पन्न किया था। सूर्य वर्तमान में अपने 11-वर्षीय सौर चक्र (solar cycle) के सौर अधिकतम (solar maximum) चरण में है।
पृथ्वी पर प्रभाव:
तकनीकी व्यवधान: सौर तूफान बिजली ग्रिड, उपग्रह संचार, और नेविगेशन सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। प्रभावित देशों में विमानन (aviation), समुद्री संचालन (maritime operations), और GPS-आधारित सेवाएँ बाधित हो सकती हैं।
औरोरा का प्रदर्शन: यूके मेट ऑफिस (UK Met Office) के अनुसार, 22 मई के आसपास यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड, और अन्य उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में औरोरा (auroras) दिखाई दे सकते हैं। ये सुंदर दृश्य भू-चुंबकीय समस्याओं (geomagnetic problems) का संकेत हैं।
अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा: सौर विस्फोटों से उत्पन्न विकिरण अंतरिक्ष में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों और यानों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है।
क्या सौर तूफान से भारत का मानसून प्रभावित होगा?
भारत में सौर तूफान का प्रभाव मुख्य रूप से तकनीकी प्रणालियों तक सीमित रहने की संभावना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सौर तूफानों का पृथ्वी के मौसम (weather) या भारत के मानसून (monsoon) पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ता। मानसून एल नीनो (El Niño), ला नीना (La Niña), और हिंद महासागर डायपोल (Indian Ocean Dipole) जैसे कारकों से प्रभावित होता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 2025 के मानसून पर सौर तूफान के प्रभाव की कोई भविष्यवाणी नहीं की है।
पहले की घटनाएँ:
सौर तूफानों का इतिहास हमें इसके संभावित प्रभावों की गंभीरता समझाता है:
- 1859 का कैरिंगटन इवेंट (Carrington Event): सबसे शक्तिशाली सौर तूफान, जिसने टेलीग्राफ सिस्टम (telegraph systems) को नष्ट कर दिया और औरोरा इतने चमकीले थे कि लोग रात में अखबार पढ़ सकते थे।
- 1989 का क्यूबेक ब्लैकआउट (Quebec Blackout): कनाडा में 9 घंटे तक बिजली ठप रही, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए।
- 2003 का हैलोवीन तूफान (Halloween Solar Storms): उपग्रहों को नुकसान और स्वीडन में बिजली आपूर्ति में व्यवधान हुआ।
आम जनता के लिए सलाह:
विशेषज्ञों का कहना है कि आम लोगों को इस सौर तूफान से ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, विमानन (aviation), समुद्री संचालन (maritime operations), और उपग्रह नेविगेशन (satellite navigation) पर निर्भर उद्योगों को सतर्क रहना चाहिए। भारत में, खासकर तकनीकी और संचार क्षेत्रों में, सौर तूफान के प्रभावों की निगरानी की जानी चाहिए। मानसून से संबंधित जानकारी के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की आधिकारिक घोषणाओं पर भरोसा करें।
निष्कर्ष:
सूर्य का यह तूफान यूरोप, मध्य पूर्व, एशिया, उत्तरी अमेरिका, और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्रों में तकनीकी प्रणालियों के लिए चुनौती पेश कर सकता है। भारत में मानसून पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा, लेकिन तकनीकी क्षेत्रों में सतर्कता बरतनी चाहिए। नासा और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) इस स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और समय पर चेतावनी जारी कर रहे हैं। आकाश में औरोरा का सुंदर नजारा देखने का मौका मिल सकता है, लेकिन इसके पीछे छिपे खतरों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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