हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की फुल बेंच ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि कलेक्टर को Vehicle Forfeiture का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केवल ट्रायल कोर्ट के पास है। इस फैसले के साथ ही हाई कोर्ट की फुल बेंच ने मध्य प्रदेश आबकारी अधिनियम की धारा 47 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है।
राजेश विश्वकर्मा सागर और रामलाल झारिया तेंदूखेड़ा की याचिका
मंगलवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत, जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और जस्टिस विवेक जैन ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वाहन को राजसात करने का अधिकार अब जिले के कलेक्टर को नहीं बल्कि संबंधित ट्रायल कोर्ट को होगा। सागर निवासी राजेश विश्वकर्मा और तेंदूखेड़ा निवासी रामलाल झारिया की ओर से यह याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट विवेक रंजन पांडे, जयंत नीखरा, संजीव नीखरा ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा।
याचिकाकर्ता के वकील की दलील
सुनवाई में अधिवक्ता विवेक रंजन पांडे ने कोर्ट को बताया कि आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 47 के तहत वाहन को राजसात करने का अधिकार कलेक्टर को है। इसी तरह गोवंश अधिनियम 2004 में दिए उस प्रावधान को भी चुनौती दी गई थी, जिसमें अपराध में शामिल वाहन को राजसात करने का अधिकार कलेक्टर को था। अलग-अलग बेंच में लगे इन मामलों को कई बार उठाया गया, जिसके चलते वैधानिक प्रश्न के निराकरण के लिए फुल बेंच को यह केस रेफर किया गया।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विवेक रंजन ने दलील दी कि, कई बार मालिक की मर्जी बिना भी वाहन का उपयोग होता है। बहुत बार ऐसा भी होता है कि चोरी के वाहन से शराब सप्लाई की जाती है, जिसे कि आबकारी विभाग या फिर पुलिस कई बार पकड़ भी लेती है। लंबी ट्रायल के चलते राजसात वाहन कंडम हो जाते हैं और उनकी नीलामी हो जाती है। कई लोग ऋण लेकर वाहन खरीदते हैं। वाहन जब्त होने से मालिक को अपूर्णीय क्षति होती है।
Section 47 of Madhya Pradesh Excise Act is unconstitutional
अधिवक्ता विवेक रंजन पांडे ने बताया कि सागर के याचिकाकर्ताओं ने एक्साइज एक्ट की धारा 47 की संवैधानिकता को उच्च न्यायालय में चैलेंज किया था। चीफ जस्टिस सहित दो अन्य जस्टिस की विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई की। फुल बेंच ने एक्साइज एक्ट की धारा 47 को असंवैधानिक घोषित किया है। कलेक्टर क्रिमिनल ट्रायल होने के पहले ही उन वाहनों को राजसात कर लेते थे, जो एक्साइज एक्ट के तहत अवैध शराब ले जाते समय जब्त होते थे।
मोटर वाहन को कब राजसात किया जा सकता है
तीन जजों की विशेष पीठ ने यह निर्णय दिया है कि कलेक्टर को आपराधिक प्रकरण में सजा दिए जाने से पहले, जब्त हुए वाहन को राजसात करने का अधिकार नहीं है। धारा 47 में दिया गया अधिकार असंवैधानिक है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि सजा दिए जाने के बाद ही वाहन को राजसात किया जा सकता है, इससे पहले की गई कार्रवाई असंवैधानिक होगी।
Collector has no right to forfeit vehicle का क्या मतलब हुआ
अधिवक्ता विवेक रंजन पांडे ने बताया कि हाईकोर्ट की फुल बेंच के इस ऐतिहासिक फैसले से, उन लोगों को लाभ पहुंचेगा, जिनके वाहन बिना वजह ही राजसात हो जाते थे। उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश का असर खनिज, वन, कस्टम सहित उन विभागों पर भी पड़ेगा, जहां पर कि वाहनों के राजसात की कार्रवाई की जाती है। कोर्ट ने साफ कहा है कि ऐसे मामलों में वाहन राजसात करने के अधिकार अब सिर्फ न्यायिक मजिस्ट्रेट को होंगे। हाईकोर्ट का यह आदेश उन सभी लंबित मामलों पर प्रभावी होगा जिसमें आज तक जिला दंडाधिकारी ने राजसात या जब्ती का आदेश नहीं दिया है।
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