MADHYA PRADESH का वीरता पुरस्कार प्राप्त पुलिस इंस्पेक्टर हनी ट्रैप का शिकार - BHOPAL SAMACHAR

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मध्य प्रदेश पुलिस के जिस इंस्पेक्टर ने अपराधियों के सामने अपनी जान की परवाह नहीं की, जिसने भ्रष्टाचार का लालच नहीं किया, वह पुलिस इंस्पेक्टर एक खूबसूरत लड़की के हाथों हनी ट्रैप का शिकार हो गया और अपनी गलती की कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। वेब सीरीज के लिए यह एक परफेक्ट मसाला स्टोरी है, लेकिन इसका कड़वा सच यह है कि, एक खुशहाल परिवार बर्बाद हो गया है और मध्य प्रदेश पुलिस की टीम में से एक जांबाज पुलिस इंस्पेक्टर कम हो गया। 

यह कहानी मध्य प्रदेश के सबसे वीर पुलिस इंस्पेक्टर की है 

यह कहानी है इंस्पेक्टर अरविंद कुजूर की। जिन्हें एक बार नहीं बल्कि दो बार मध्य प्रदेश पुलिस का सर्वोच्च वीरता वाला केएफ रुस्तमजी पुरस्कार मिला था। बचपन की पढ़ाई, कॉलेज में गुंडो से लड़ाई, प्यारी सी प्रोफेसर पत्नी और दुनिया के सबसे प्यारे बच्चों से होती हुई यह कहानी उस मोड से शुरू होती है जब इंस्पेक्टर अरविंद कुजूर को मध्य प्रदेश पुलिस का सुपर कॉप माना जाने लगा था। 21 साल की आशी परमार ने अरविंद की लाइफ में एंट्री मारी। कहते हैं इंस्पेक्टर अरविंद का निशान कभी नहीं चूकता था परंतु इस बार इंस्पेक्टर अरविंद खुद निशाने पर थे। पत्नी सागर में प्रोफेसर है। इंस्पेक्टर अरविंद छतरपुर में अकेले रहते थे। शायद अकेलेपन ने उन्हें अंदर से कमजोर बना दिया और 21 साल की आशी परमार का शिकार हो गए। 

इंस्पेक्टर अरविंद की आंख तक खुली जब पता चला...

अरविंद जब आशी को गिफ्ट देते तो, आशी चहक उठती और प्यार की बारिश कर देती। अरविंद को आशी चहकना और आशी को अरविंद के गिफ्ट बड़े अच्छे लगते थे। पता ही नहीं चला कि कब महंगे गिफ्ट डिमांड में बदल गए। पहले आईफोन, फिर सोने के झुमके, फिर डायमंड का नेकलेस, डेढ़ लाख रूपए मूल्य का गुच्ची का बैग, एक कर और यहां तक की दो प्लॉट आशी के नाम हो गए। आशी की डिमांड बढ़ती ही जा रही थी और इंस्पेक्टर अरविंद की आंख तक खुली जब पता चला कि, आशी उसे प्यार नहीं करती बल्कि उसका अपना बॉयफ्रेंड (सोनू) है। 

फाइनल सेटलमेंट के लिए 30 घंटे तक मीटिंग चली

दोनों ने मिलकर इंस्पेक्टर अरविंद को अपने जाल में फंसा लिया था। लाखों रुपए खर्च हो चुके थे और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था। घटना से पहले उन्होंने आशी और उसके बॉयफ्रेंड सोनू को फाइनल सेटलमेंट के लिए बुलाया। लगातार 30 घंटे तक तीनों के बीच बातचीत होती रही, लेकिन मीटिंग का कोई सॉल्यूशन नहीं निकला। 

इंस्पेक्टर अरविंद के पास ऑप्शन तो था

इंस्पेक्टर अरविंद के पास ऑप्शन था। मध्य प्रदेश में ऐसा पहले भी हो चुका है। वह आशी और सोनू को गिरफ्तार करवा सकते थे। दोनों के खिलाफ ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज करवा सकते थे। सबके सामने कह सकते थे कि वह हनी ट्रिप का शिकार हो गए हैं परंतु एक पुलिस इंस्पेक्टर जिसे राज्य के सबसे वीर पुलिस अधिकारी का अवार्ड दो बार मिला हो, जब वह हनी ट्रैप का शिकार हो जाता है, तो उसकी मानसिक स्थिति का अंदाज लगाना, आम आदमी के लिए संभव नहीं है। 

दिनांक 6 मार्च को छतरपुर के सिटी कोतवाली थाने के टीआई अरविंद कुजूर ने पेप्टेक कॉलोनी में किराये के मकान में गोली मारकर सुसाइड कर लिया। शायद इस प्रकार से उन्होंने स्वयं को अपनी गलती के लिए दंडित कर लिया।

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