NASA के कैमरे में भगवान कार्तिकेय के मोर का पंख कैप्चर, मंगल ग्रह की घटना

NASA के Curiosity Rover ने अपने कैमरे में मंगल ग्रह पर एक अद्भुत बादलों की संरचना को कैप्चर किया है। इन बादलों में इंद्रधनुष के रंगों की झलक दिखाई दे रही थी। यह अद्वितीय चित्र दिनांक 27 जनवरी 2023 को सूर्यास्त के तुरंत बाद कैप्चर किया गया। यदि अंतरिक्ष विज्ञान के विषय में लिखे गए प्राचीन भारतीय शास्त्रों की दृष्टि से इस घटना का विवरण करें तो भगवान कार्तिकेय की मोर का एक पंख का चित्र नासा के कैमरे में कैद हो गया है। 

NASA के वैज्ञानिकों ने क्या बताया है

NASA ने इस मंगल ग्रह के ऊपर बना बादल बताया है। वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि इस प्रकार का बादल मंगल के आसमान पर उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। यह विशेष प्रकार का बादल है जो सूर्यास्त के बाद रात्रि के समय चमकता है। इसमें इंद्रधनुष जैसे रंग दिखाई दे रहे थे। सबसे ज्यादा लाल और हरे रंग का प्रभाव था। वैज्ञानिकों के पास इसका एक छोटा सा वीडियो भी है। वैज्ञानिक रोमांचित है क्योंकि उन्हें कुछ नया जानने को मिला। वैज्ञानिक इस अध्ययन से समझने की कोशिश कर रहे हैं की मंगल पर बादल कैसे बनते हैं और बादलों के बन जाने के बाद उनका क्या होता है। 

भारतीय शास्त्रों के अनुसार 27 जनवरी 2025 का महत्व

मंगल को ग्रहों का सेनापति और भगवान की शिव के पुत्र कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति माना जाता है। NASA ने स्वयं बताया कि यह घटना दिनांक 27 जनवरी 2025 को घटित हुई। भारतीय कैलेंडर "पंचांग" जिसमें अंतरिक्ष की गणना भी होती है, के अनुसार दिनांक 27 जनवरी को विक्रम संवत 2081, माघ महीने की त्रयोदशी तिथि है। यह तिथि भगवान शिव को समर्पित की जाती है। इस दिन मासिक शिवरात्रि थी। भगवान शिव के भक्तों द्वारा इसी दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। 

भारतीय ज्योतिष के अनुसार मंगल और कार्तिकेय का संबंध

भगवान कार्तिकेय को स्कंद, मुरुगन, सुब्रमण्य आदि नाम से भी पुकारा जाता है। भगवान कार्तिकेय और मंगल ग्रह को एक दूसरे का मित्र माना जाता है। मंगल की शांति के लिए कार्तिकेय की पूजा की जाती है। तमिल परंपरा में मंगल और कार्तिकेय के संबंध को बड़ा महत्व दिया गया है। यह अनंत ऊर्जा का संगम है। 

भगवान कार्तिकेय की सवारी मोर है। NASA के वैज्ञानिकों द्वारा जिस प्रकार का चित्रण किया गया है उसके हिसाब से मंगल ग्रह के आसमान पर मोर का एक पंख दिखाई दिया है। यह पंख दिव्य और भव्य है। इसलिए भारत के शैव और वैष्णव भली प्रकार से यह समझ जाएंगे कि, भगवान कार्तिकेय मंगल से मिलने के बाद जब रवाना हुए तो उनके मोर का एक पंख निकाल कर मंगल के आसमान पर लहराया और ठीक उसी समय NASA की कैमरे ने उसे कैप्चर कर लिया। 

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