मध्य प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों के मान्यता नियमों में बदलाव को लेकर अब स्कूल संचालक अब 4 फरवरी को भाजपा कार्यालय के सामने धरना देंगे। इससे पहले स्कूल संचालकों ने 10 जनवरी को हड़ताल की थी। वहीं, महीने भर पहले स्कूल संचालक राज्य शिक्षा केंद्र कार्यालय परिसर में जमकर नारेबाजी कर चुके हैं। स्कूल संचालक इस संबंध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन दे चुके हैं।
भोपाल में बड़ा प्रदर्शन करेंगे, हार मानने को तैयार नहीं
प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि इससे पहले हम सीएम से लेकर शिक्षा मंत्री व अपने-अपने जिलों के विधायकों के सामने इस संबंध में गुहार लगा चुके हैं। प्रदेश सचिव संचालक मंच अनुराग भार्गव कहते हैं कि पिछले एक साल से लगातार सीएम, मंत्री, विधायक, डीपीसी, बीआरएस से गुहार लगा चुके है। धरना प्रदर्शन भी किया है। 30 जनवरी को प्रदेश के स्कूल बंद किए गए पर सरकार मान्यता नियम मे बदलाव को लेकर कुछ सुनने को तैयार नहीं है। अब आगे संचालक मंच अपने साथियों के साथ 4 फरवरी को प्रदेश भाजपा कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे। कोषाध्यक्ष मोनू तोमर ने कहा कि कुछ संचालक मुंडन करवाएंगे, तो कुछ सरकार से इच्छा मृत्यु मांगेंगे। सरकार जब स्कूल बंद करने पर तुली है तो संचालक भी हार मानने को तैयार नहीं है।
मध्य प्रदेश में 18000 प्राइवेट प्राइमरी स्कूल बंद हो जाएंगे
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा कक्षा पहली से आठवीं मान्यता नवीनीकरण में जो तानाशाही दिखाई गई है। वह मध्य प्रदेश के स्कूल संचालकों, शिक्षकों एवं कार्यरत कर्मचारियों के दमन का रास्ता है। मध्य प्रदेश में लगभग 18,000 से अधिक स्कूल बंद होने की कगार पर हैं।ये स्कूल विगत वर्षों से इसी विभाग से मान्यता प्राप्त कर संचालित हैं। एक तरफ निशुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 कहता है कि शिक्षा नि:शुल्क होनी चाहिए। वहीं 30 से 40 हजार रुपए सावधि जमा और रजिस्टर्ड किरायानामा यह दर्शाता है कि शिक्षा विभाग के लिए शिक्षा व्यवसाय बन गया है।
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