legal advice- क्या नव विवाहिता की हत्या के आरोपी को दहेज मृत्यु के अपराध में दंडित किया जा सकता है

Bhopal Samachar
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निर्धारित प्रक्रिया के तहत अपराध के बाद मामला दर्ज किया जाता है। पुलिस द्वारा इन्वेस्टिगेशन की जाती है। इन्वेस्टिगेशन में दोषी पाए जाने पर न्यायालय में सजा निर्धारण के लिए आरोपी को प्रस्तुत किया जाता है। अब सवाल यह होता है कि यदि पुलिस ने, किसी नव विवाहित महिला की मृत्यु के बाद हत्या का मामला दर्ज किया और उसके पति को न्यायालय में प्रस्तुत किया, लेकिन पुलिस अपराध साबित नहीं कर पाई तो क्या न्यायालय दहेज मृत्यु के लिए अमृत महिला के पति को दंडित कर सकता है। 

महत्वपूर्ण जजमेंट - शमनसाहेब एम. मुट्टानी बनाम कर्नाटक राज्य मामला

एक बीस वर्षीय नवविवाहिता महिला को उसके पति एवं ससुराल वालों ने उसका मुँह बांधकर लातों-घूंसा से मारकर उसकी हत्या कर दी। मृत महिला के पति, ससुर एवं देवर के विरुद्ध IPC की धारा 302 (अब BNS की धारा 103 होगी) के अंतर्गत हत्या का आरोप लगाया गया लेकिन संदेह एवं पक्ष द्रोही गवाह होने के कारण साक्ष्यों के अभाव में सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया। 

इस पर राज्य उच्च न्यायालय में अपील किए जाने पर न्यायालय ने आरोपियों का अपराध IPC की धारा 300, 302 (अब BNS की धारा 101 एवं 103) हत्या अपराध की बजाय IPC की धारा 304ख (अब वर्तमान मे BNS 80) (दहेज हत्या, एवं धारा 498क (महिला के प्रति क्रूरता) (अब वर्तमान मे BNS की धारा 85) में परिवर्तन करते हुए पति को आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डित किया एवं पति के नातेदारों को दोषमुक्त कर दिया।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या निर्णय था जानिए:-

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह था कि क्या हत्या के अपराध के आरोपी व्यक्ति को वैकल्पिक तोर पर दहेज मृत्यु के अपराध के लिए दण्डित किया जा सकता है, भले ही उसे IPC की धारा 304ख के लिए आरोपित न किया गया हो?

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार हाइकोर्ट द्वारा आरोपी को हत्या के अपराध की बजह दहेज हत्या के अधीन दोषसिद्ध किया जाना न्यायोचित था, लेकिन ऐसा करने से पहले आरोपी को नोटिस देकर दहेज हत्या के अपराध के विरुद्ध बचाव का अवसर दिया जाना आवश्यक था।

अतः न्यायालय ने निर्देशित किया कि विचारण न्यायालय को आरोपी के विरुद्ध धारा 304ख के अपराध का पुनः विचारण करे एवं आरोपी को सूचित किया कि वह दहेज हत्या के अपराध की उपधारणा को असाबित न कर सका तो उसे दहेज हत्या के अपराध कर अंतर्गत दण्डित किया जा सकेगा।

कुलमिलाकर निर्णय का सार कहे तो पुलिस एफआईआर में हत्या के अपराध की धारा दर्ज हुई है लेकिन दहेज हत्या के अपराध की धारा दर्ज नहीं है तब भी न्यायालय आरोपी को हत्या का अपराध साबित न होने पर दहेज हत्या के अपराध से दण्डित कर सकता है लेकिन इससे पहले आरोपी बचाव के लिए सूचना देना अति आवश्यक है।

विशेष नोट:- नए कानून BNS में हत्या के अपराध की धारा 101 एवं दहेज मृत्यु के अपराध की धारा 80 एवं महिला क्रूरता अपराध की धारा 85 पढा जावे। 

लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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