मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रहने वाले डॉक्टर महेश चंद्र मिश्रा और उनकी पत्नी डॉक्टर रागिनी मिश्रा यदि नियमित रूप से भोपाल समाचार पढ़ते तो 10.50 लाख की ठगी और 52 घंटे के डिजिटल अरेस्ट से बच जाते। हम नियमित रूप से इस प्रकार के अपराधियों की जानकारी देते रहते हैं और भोपाल समाचार के नियमित पाठक हमेशा ऐसे सभी अपराधों से बचे रहते हैं, जिसमें ऑनलाइन डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है।
भोपाल के डॉक्टर महेश चंद्र और रागिनी मिश्रा की ठगी की कहानी
डॉ. रागिनी मिश्रा ने बताया- मार्निंग वॉक से लौट रही थी। तभी मेरे पास कॉल आया। कॉलर ने बताया कि वह ट्राई (टेलीफोन रेगुलेरिटी ऑफ इंडिया) से बोल रहा है। कहा कि आपका मोबाइल नंबर ब्लॉक किया जा रहा है। वजह पूछने पर बताया गया कि अपने नंबर का इस्तेमाल अनैतिक कार्यों में किया जा रहा है। आपके आधार कार्ड से मुंबई में एक खाता कैनरा बैंक में भी खोला जा चुका है। जिसमें जेट एयरवेज के मालिक से 427 करोड़ रुपए की एक्सटाॅर्शन मनी वसूल कर ट्रांसफर की है।
बदनामी का डर दिखाकर महिला डॉक्टर का ब्रेन कंट्रोल कर लिया
इसी के साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में भी आपके दस्तावेजों पर खाते चल रहे हैं। जिसका इस्तेमाल मनी लाॅड्रिंग और अन्य अवैध धंधों से कमाई रकम को रखने के लिए किया जा रहा है। मैने अपनी सफाई में कहा मैं कभी मुंबई नहीं गई, वहां किसी को जानती भी नहीं। मेरा कोई खाता भी वहां नहीं है। मुझे गलत फंसाया जा रहा है। तब आरोपी ने कहा कि केस को जांच में लेते हैं। इसी बीच उसने मेरा परिचय पूछा, फिर डराया कि सरकारी अधिकारी रही हैं। इतने बड़े केस में आपका नाम आया है। आपकी बदनामी हो जाएगी। जांच चलने तक आपको गिरफ्त में रहना होगा।
डॉक्टर रागिनी मिश्रा ने स्वयं को हाउस अरेस्ट किया
उन्होंने कहा कि आप मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करेंगी। इसी के साथ बाहर सिविल ड्रेस में हमारे कर्मचारी आपकी निगरानी में रहेंगे। यह सब बातें करने वाले ने अपना परिचय सीबीआई अधिकारी के रूप में दिया। पहले कॉलर ने यह कहकर उनसे बात कराई कि आगे केस सीबीआई हैंडल करेगी। मैं बेहद डर चुकी थी, लिहाजा मैने कहा कि मैं हाउस अरेस्ट रहूंगी। जांच में पूरा सहयोग करूंगी। तब आरोपियों ने घर के अंदर हर एक कोने को वीडियो कॉल पर देखा। बाद में स्वयं ही बेडरूम में बंद रहने की सलाह दी। मैने ऐसा ही किया, इस समय करीब 8:30 बज चुके थे।
डॉक्टर महेश मिश्रा भी डर गए
तभी पति भी लौट आए, उन्हें भी पूरे मामले की जानकारी दी। आरोपियों से उन्होंने भी बात की, जालसाजों ने उन्हें भी हाउस अरेस्ट में सहयोग करने के लिए राजी कर लिया। तब मेरे से कहा गया कि अपने सभी खातों की जानकारी बारी-बारी नोट कराएं। इसी के साथ तमाम म्यूजुअल फंड और एफडी की भी जानकारी मांगी गई। मैने उन्हें खातों की जानकारी बता दी। बताया कि एक मेरा सेविंग अकाउंट है, दूसरे अकाउंट में मेरी सैलरी आती है। इसके अलावा कोई अन्य खाता मैं इस्तेमाल नहीं करती।
वह यह दिखाना चाहते थे कि हम हर लम्हा उनकी निगरानी में हैं। खाना-तक बेडरूम में लाकर खाने के निर्देश थे। खाना बनाने के दौरान कैमरा किचन में ही रखने को कहा जाता था। गुरुवार को स्वयं को सीबीआई अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने कहा कि आप शरीफ लोग लग रहे हैं। सिक्योरिटी के तौर पर अपने अकाउंट में मौजूद 12 लाख रुपए की रकम में से 10.50 लाख रुपए उनके बताए अकाउंट में ट्रांसफर कर दें। जांच में निर्दोश पाए जाने पर यह रकम उन्हें लौटा दी जाएगी। गुरुवार की दोपहर को आरोपियों के बताए अनुसार उन्होंने एनईएफटी से आरोपियों को 10.50 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए।
सिर्फ पैसे ट्रांसफर करने के लिए बैंक जाने की दी छूट
अपराधियों ने गुरुवार को दो रागिनी मिश्रा से कहा कि आपकी जांच में पूरी मदद की जाएगी। हम आपको फिलहाल अरेस्ट नहीं कर रहे हैं। लेकिन, सिक्योरिटी डिपाजिट के तौर पर आपको 10.50 लाख रुपए हमारे खाते में ट्रांसफर करना होंगे। जांच में बेगुनाह पाए जाने पर यह रकम लौटा दी जाएगी। गुरुवार की दोपहर को दो घंटे के लिए महिला को घर से निकलने की अनुमति दी। जिससे वह बैंक पहुंचकर अपराधियों के खाते में रकम को ट्रांसफर कर सके।
50 घंटे बाद डॉक्टर रागिनी में हिम्मत आई
तब अपराधियों ने कहना शुरू कर दिया कि आपके म्यूचुअल फंड का पैसा लिक्विडेट करो। तब शंका हुई, इसी बीच उन्होंने कहा कि हम कानपुर में आपके घर दबिश दे चुके थे। वहां नहीं मिलीं, अच्छा हुआ कि कॉल पिक कर लिया। इससे यह अंदाजा हो रहा है कि आप गलत इंसान नहीं हो। आप सरकारी अधिकारी रही हैं। हमें काे-ऑपरेट करें, सरकार की मदद करें, यह बड़ा स्कैंडल है। इस बीच में मन बना चुकी थी कि मैने कुछ नहीं किया तो मैं क्यों डरूं।
मैं स्वयं सीबीआई भोपाल के कार्यालय में जाकर सरेंडर कर दूंगी और अपनी बेगुनाही के तमाम सबूत दूंगी। डरते-डरते मन बनाया कि कुछ समय ओर देख लेती हूं। लेकिन, शुक्रवार की सुबह तक हमें डिजिटल अरेस्ट से मुक्ति नहीं दी गई। तब मैने पति से कहा कि मैं इन्हें बातों में लगाकर रखती हूं, आप पुलिस से मदद मांगो। इसके बाद पुलिस ने उन्हें शुक्रवार दोपहर करीब 2 बजे मुक्त कराया।
भोपाल पुलिस से का हमारे काम में इंटरफेयर मत करो
अपराधियों के बुलंद हौसले देखिए, असली पुलिस को देखने के बाद भी कॉल डिस्कनेक्ट नहीं किया। सवाल करने पर फटकारना शुरू कर दिया। भोपाल पुलिस से बोले कि हमारे काम में दखल न दें, हम केंद्रीय एजेंसी से हैं। आपको नहीं पता हम कैसे काम करते हैं। आरोपियों का सहयोग न करें। जब पुलिस ने कॉल डिस्कनेक्ट किया तो आरोपियों ने दोबारा कॉल किया। हालांकि जब उन्हें फटकारा गया तो कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया गया। तबसे उनका नंबर बंद आ रहा है।
जो लोकल न्यूज़ नहीं पढ़ते वही डिजिटल अरेस्ट का शिकार होते हैं
ऐसी ही एक घटना एक दिन पहले इंदौर में हुई थी। यहां 3 महीने में डिजिटल अरेस्ट के 64 मामले हो चुके हैं। इसके बावजूद महिला कारोबारी डिजिटल अरेस्ट हुई और 160 करोड रुपए की ठगी का शिकार बनी। BhopalSamachar.com की रिसर्च में पाया गया है कि, केवल वही लोग डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो रहे हैं जो हाई क्वालिफाइड हैं। जिनके बैंक अकाउंट में मोटी रकम है और जो लोकल न्यूज़ नहीं पढ़ते। दरअसल अपराधी किसी को भी शिकार बनाने से पहले उसका मोबाइल फोन स्कैन कर लेते हैं। इस प्रकार उन्हें पता चल जाता है कि आप लोकल न्यूज़ पढ़ते हैं या नहीं।
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