MP NEWS - संयुक्त संचालक लोकशिक्षण संभाग ग्वालियर में क्रमोन्नति का खेला

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ग्वालियर संभाग के माध्यमिक शिक्षकों की क्रमोन्नति का कार्य शासन द्वारा आदेश होने के एक वर्ष बाद भी नहीं हो पाया है। इस संबंध में संयुक्त संचालक लोकशिक्षण संभाग, ग्वालियर द्वारा निकाले जा रहे निर्देश उनकी नीयत एवं मंशा पर प्रश्न खड़े कर रहे है।

संयुक्त संचालक, डॉक्यूमेंट में कमी बताकर सबकी क्रमोन्नति पेंडिंग करना चाहते हैं

संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ग्वालियर ने माध्यमिक शिक्षकों की क्रमोन्नति दस्तावेजों की जांच के बाद संबंधित जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों को अपात्र माध्यमिक शिक्षकों की सूची एवं निर्देश जारी किया है। इस सूची में 1254 शिक्षकों को अपात्र बता कर उनके दस्तावेजों में कमी बताई गई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि क्रमोन्नति हेतु फाइलें संकुलों से जांच के बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय भेजी गई थी उसके उपरांत जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में बनी कमेटियों द्वारा उनकी जांच की गई थी तथा कमी वाली फाइलों को संकुलों से पूर्ण कराया गया था, तदुपरांत वे फाइलें महीनों पहले संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ग्वालियर को भेजी गई थी। महीनों तक जांच करने के बाद संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ग्वालियर द्वारा लगभग सभी कर्मचारियों के दस्तावेजों में कुछ न कुछ कमी पाई है और उन कर्मचारियों के क्रमोन्नति आदेश जारी नहीं किये गए हैं।

संयुक्त संचालक, सभी शिक्षकों को अपने सामने हाजिर करवाना चाहते हैं

अब इस आदेश की सबसे खास बात, पत्र में समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को जो निर्देश दिया गया है उसकी भाषा यह है,-
"अपात्र लोकसेवकों की सूची आपकी ओर भेज कर निर्देशित किया जाता है कि संलग्न सूची में लोकसेवकों के सम्मुख कमियों की पूर्ति करने हेतु लोकसेवकों को सूचित करें की वह कमियां संबंधी अभिलेख संकुल प्राचार्य से प्रतिहस्ताक्षर करा कर 15 दिवस में कार्यालय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग, ग्वालियर में प्रस्तुत करें।"

इसका अर्थ हुआ कि 1254 अपात्र घोषित शिक्षकों को अपने अपने कमी वाले दस्तावेज लेकर व्यक्तिगत रूप से संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग, ग्वालियर के कार्यालय में उपस्थित होना है। सभी शिक्षक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर बाबू से व्यक्तिगत मिलकर अपनी-अपनी कमी दूर कराएंगे तब जाकर उनके क्रमोन्नति आदेश जारी होंगे।

कई कर्मचारियों की सी.आर. फार्म में त्रुटि बताई गई है, अब वे कर्मचारी अपनी-अपनी सी.आर. स्वयं लेकर जाएंगे और संयुक्त संचालक कार्यालय में जमा करायेंगे। जबकि सी.आर. एक बेहद ही गोपनीय दस्तावेज है जो संकुल प्राचार्य द्वारा भरा जाता है तथा संबंधित कर्मचारी को सामान्यतः उसकी जानकारी नहीं दी जाती।

कई कर्मचारियों की सर्विस बुक के प्रथम एवं द्वितीय पेज में कमी बताई गई है। सर्विस बुक भी संकुल प्राचार्य के अधीन होती है तथा सर्विस बुक को प्रमाणित करने का कार्य भी संकुल प्राचार्य का है। उसके पेज भी वो ही उपलब्ध कराते हैं। इसके अतिरिक्त उसके प्रथम एवं द्वितीय पेज education portal पर भी उपलब्ध है जिन्हें संयुक्त संचालक महोदय के आई.डी. पासवर्ड से भी देखा एवं निकाला जा सकता है।

शिक्षकों को पर्सनली अपने ऑफिस में क्यों बुलाना चाहते हैं

जब क्रमोन्नति की फाइलें संकुलों के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय तथा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से संयुक्त संचालक को भेजी गईं तो फिर किसी दस्तावेज में कमी के लिए इसी तरह से कार्यवाही क्यों नहीं की गई, कर्मचारी को व्यक्तिगत बुलाने का क्या अर्थ निकाला जाना चाहिए।

कर्मचारी अपनी सी.आर. स्वयं नहीं लिखता, यदि उसकी सी.आर. या सर्विस बुक से संबंधित कोई कमी है तो संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत बुलाकर कमी पूरी क्यों नहीं कराई जा रही। अगर यही खुले खेल वाली प्रक्रिया करनी थी तो संबंधित कर्मचारी की फाइल भी उससे व्यक्तिगत जमा कराई जानी चाहिए थी और आदेश भी व्यक्तिगत जारी होने चाहिए थे। 

कर्मचारी क्या कर सकते हैं 

कर्मचारी मामलों में लीगल एडवाइजर श्री उपदेश अवस्थी का कहना है कि, क्रमोन्नति, कर्मचारियों का अधिकार है। यह किसी भी संयुक्त संचालक या आयुक्त की कृपा पर निर्भर नहीं करता। संयुक्त संचालक ने कर्मचारियों को ग्वालियर बुलाया है। इसी ग्वालियर में लोकायुक्त का ऑफिस भी है। कृपया संयुक्त संचालक के कार्यालय में होने वाली बातचीत को रिकॉर्ड करें और मध्य प्रदेश शासन की लोकायुक्त योजना का लाभ उठाएं। यकीन मानिए, सिर्फ एक कर्मचारी की सही रणनीति, सारे खेला का ठेला बना देगी। संयुक्त संचालक महोदय ने यदि थोड़ा भी दाएं बाएं किया तो उनकी अपनी क्रमोन्नति और पेंशन खतरे में पड़ जाएगी। 

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