BNS 230 - किसी को सजा-ए-मौत दिलवाने फेक एविडेंस क्रिएट करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान

अगर कोई व्यक्ति किसी निर्दोष व्यक्ति को मृत्यु दण्ड से अपराध के लिए दण्डित करवाने के लिए झूठे गावह तैयार करता है या कोई झूठे सबूतों, या दस्तावेजों को बनाता है तब वह व्यक्ति किस कानून के अंतर्गत दोषी होगा।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 230 की परिभाषा

मृत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषी कराने के आशय से झूठा साक्ष्य देना एवं झूठा साक्ष्य गढ़ने वाले को उक्त धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
अपराध के आवश्यक तत्व है जब:-
1. कोई व्यक्ति मृत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषी कराने के आशय से झूठा साक्ष्य देता है।
2. कोई व्यक्ति मृत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषी कराने के आशय से झूठा साक्ष्य गढ़ता है।
3. झूठा साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किया जाता है।
4. झूठा साक्ष्य किसी व्यक्ति को मृत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषी ठहराने के लिए उपयोग किया जाता है।

अपराध नहीं होता है जब:-
1. अनजाने में झूठा साक्ष्य दिया जाता है।
2. भय या दबाव में झूठा साक्ष्य दिया जाता है।
3. मानसिक अस्थिरता में झूठा साक्ष्य दिया जाता है।
4. झूठा साक्ष्य कानूनी कार्यवाही में इस्तेमाल करने के लिए नहीं बनाया जाता है।

स्पष्टीकरण:
1. "मृत्यु से दण्डनीय अपराध" का अर्थ है ऐसा अपराध जिसके लिए मृत्युदंड का प्रावधान है।
2. "झूठा साक्ष्य" का अर्थ है ऐसा साक्ष्य जो असत्य या झूठा है।
3. "अदालत" का अर्थ है कानूनी अदालत या न्यायालय।

उदाहरण:
1. कोई व्यक्ति अदालत में झूठा बयान देता है जिससे किसी अन्य व्यक्ति को मृत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सके।
2. कोई व्यक्ति झूठा दस्तावेज बनाता है जिससे किसी अन्य व्यक्ति को मृत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सके।

THE BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023,SECTION 230 PROVISION OF PUNISHMENT

इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की डारेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी लेकिन पुलिस NCR लिख सकती है एवं इस अपराध के लिए न्यायालय में परिवाद भी लगाया जा सकता है I इस अपराध की सुनवाई सेशन कोर्ट द्वारा की जाती है एवं यह समझोते योग्य नहीं है अर्थात्‌ राजीनामा नहीं किया जा सकता है।
इस अपराध के दण्ड को दो भागों में बांटा गया है:- 
1. न्यायिक कार्यवाही के समय झूठे साक्ष्य देने एवं गढने के लिए अधिकतम दस वर्ष की कारावास और पचास हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
2. झूठे साक्ष्यों के कारण अगर कोई व्यक्ति को दोष सिद्ध किया गया है तब अधिकतम मृत्यु दंड या उपधारा 01 में विनिर्दिष्ट दंड से दण्डित किया जा सकता है। 

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