अथिति शिक्षक: शिक्षा विभाग अपने बुने जाल से निकले तो बदले 70 हजार की तकदीर - MP NEWS

श्याम चोरसिया
। शिक्षा सत्र 24-25 के लिए अपनाई गई ऑनलाइन प्रक्रिया प्रदेश के 70 हजार अथिति शिक्षकों की रोज अग्नि परीक्षा ले रही है। प्रदेश के कोने कोने से आए त्रस्त, बेबस, लाचार अथिति शिक्षक रोज डीपीआई के दरबार मे विसंगतियों से पनपी अराजकता, तनाव का तुरन्त समाधान करने की गुहार लगाते। मगर डीपीआई के जिम्मेदारों को मिटिंगों से ही फुर्सत नही है।

जिम्मेदार रोज मीटिंग करते है। बेपटरी होते जा रहे शिक्षा तंत्र को पटरी पर लाने के लिए पेंच सुलझाते है। मगर स्थापना, एमआईएस, आईटी सेल में तालमेल  की कमी से पेंच सुलझने की बजाय ओर उलझे दिखते है। नतीजन अथिति ही नही बल्कि विभिन्न जिलों के डीईओ  तक भी विभिन्न शाखाओं के फेरे लेते देखे जा सकते है।

डीईओ ने उच्च प्रभार ग्रहण न करने वाले शिक्षकों की सूची भेज दी। ताकि पोर्टल शून्य रिक्ति की  जगह  समन्धित विषय के अथिति का नाम  प्रदर्शित कर सके। मगर डीपीआई  के जिम्मेदार  डीईओ के इन रुकको  को तबज्जो देने की बजाय  एमआईएस,स्थापना में घुमवाते रहते है। कोई कहता है। स्थापना 04 में जाओ। 04 वाला 03 में ओर 03 वाला 02 में धकेल जिम्मेदारी से बरी हो जाते है। 

भविष्य की चिता से त्रस्त सेकड़ो अथिति डीपीई के कपाट खुलते ही जमा होने लगते है। इनमें भिंड,रीवा, मंदसौर, अलीराजपुर, सदुर तक के होते है। इनमें 50% से अधिक महिलाएं शामिल है। ज्यादातर अथिति 05 से लेकर 13 साल से सेवारत है। मगर अब उनकी सेवाओं, निष्ठा, समर्पण, पर विभाग ने बेदखली की तलवार लटका दी है। अच्छे रिज़ल्ट से विभाग,शासन और प्रदेश की नाक ऊंची करने वाले अथिति पहले से भीषण आर्थिक  तंगियो से घिरे है। अप्रेल 24 यानी 05 महीने से बेरोजगार है। 

इधर शिक्षको के अभाव मे शालाओं  और कक्षाओं का बंटाधार हो रहा है। शालाये खुले 02 महीने होने के बाबजूद  विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले शिक्षको का टोटा दूर नही हो सकने से शेक्षणिक स्तर और रिजल्ट के गोते लगाने के चांस बढ़ते जा रहे है।

पढ़ाई का नुकसान भोग रहे विद्यार्थी अपना दर्द लेकर प्राचार्य के पास जाते है। प्राचार्य धैर्य रखने का  टका सा जबाब देकर चलता कर देते है। लगता है नक्कार खाना बड़ा होने से न तो विभागीय मन्त्री न सीएम डॉक्टर मोहन यादव को  शिक्षा तंत्र को मौजूदा दुरावस्था से निकालने की चिता है।

हर डीईओ, बीईओ, संकुल प्राचार्य के पास हर अथिति ओर हर स्थाई शिक्षक की जन्म पत्री   तथा रिक्त पदों की पूरी जानकारियां है। यदि ऑन लाइन की हठ, जिद्द छोड़ कर फिलहाल वर्षों से सेवारत विषय अथितियों को बहाल कर दिया जाए तो 03 दिन में मौजूदा हो हल्ले, दुरावस्था  का युक्तियुक्त समाधान निकल सकता है। ऑन लाइन प्रक्रिया भी जारी रखी जा सकती है।

मौजूदा संकट उच्च पद की  प्रक्रिया में शामिल होने के बाद ज्वाइनिंग न देने वाले शिक्षको की वजह से गहराया। पोर्टल पर वे शो हो रहे है। जबकि धरातल की हकीकत भिन्न है। उनके जवाईनिग ने देने से अथितियों ने अप्रेल 24 तक सेवाएं दी। उच्च पद पर  ज्वाइनिंग न देने के बाबजूद पोर्टल से उनका नाम नही हटा। ये तकनीकी गलती  डीपीआई की है। यदि फरवरी-मार्च में ही पोर्टल अपग्रेड कर लिया जाता तो आज  लगभग 50 हजार अथिति मारे मारे नही फिरते। टप्पे खाने, तथा भीषण तनाव से बच जाते। शिक्षा का कीमती नुकसान नही होता। 

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