PhonePe के CEO ने कहा, क्षमा कीजिए परंतु आरक्षण नहीं योग्यता से ही आगे बढ़ सकते हैं

आरक्षण के खिलाफ जंग में भारी विरोध के बावजूद एक कदम आगे बढ़ाते हुए PhonePe के संस्थापक एवं CEO समीर निगम ने आरक्षण के खिलाफ अपने विचारों को दृढ़ता पूर्वक दोहराया और एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि, प्रतिभाशाली व्यक्तियों को नौकरी दिए बिना, हम भारत को विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति नहीं बना सकते। 

PhonePe कहां से शुरू हुआ और कितने यूजर्स हैं

भोपाल समाचार डॉट कॉम द्वारा प्रकाशित समाचार (PhonePe की आरक्षण के खिलाफ जंग, Boycott और Support का सिलसिला शुरू, यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं) पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फोनपे के संस्थापक समीर निगम ने कहा कि, फोनपे का जन्म बेंगलुरु में हुआ है और हमें इस शहर पर गर्व है जो विश्व स्तरीय तकनीकी, प्रतिभा और जीवंत विविधता के लिए जाना जाता है। बेंगलुरु से शुरू हुए फोनपे का कारोबार पिछले 10 साल में पूरे भारत में फैल गया है और 55 करोड़ से अधिक भारतीय नागरिक हमारी सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। 

मैं बिना शर्त माफी मांगता हूं, फोनपे के संस्थापक ने कहा

समीर निगम ने कहा कि एक कंपनी के रूप में, कर्मचारियों की नियुक्ति करते समय हमने हमेशा प्रतिभा और योग्यता को महत्व दिया है। हमारी कंपनी में भारत के सभी राज्यों के नागरिक काम करते हैं और इन में कन्नड़ लोग भी शामिल है। निगम ने कहा कि मैंने पिछले सप्ताह, Draft Job Reservation Bill के बारे में अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए थे। इससे संबंधित कुछ समाचार मुझे पढ़ने को मिले। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि, कर्नाटक और उसके लोगों का अपमान करना मेरा उद्देश्य नहीं था। अगर मेरी अभिव्यक्ति से किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो मैं खेत प्रकट करता हूं और इसके लिए बिना किसी शर्त के माफी मांगता हूं। निगम ने बात को आगे बढ़ते हुए अपने बयान में लिखा है कि, भाषा की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत भारत की राष्ट्रीय संपत्ति है और इस पर भारत के सभी नागरिकों को गर्व होना चाहिए। 

इंटरनेशनल मार्केट में जीतने के लिए आरक्षण नहीं योग्यता जरूरी

बेंगलुरु से संचालित होने वाले भारतीय स्टार्टअप्स Google, Apple, Amazon और Microsoft जैसी कंपनियों का सामना कर रहे हैं। उनसे प्रतिस्पर्धा करने के लिए हमें भारत में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली लोगों को उनकी योग्यता और दक्षता के आधार पर नियुक्त करने की स्वतंत्रता मिलना चाहिए। यही एकमात्र तरीका है जो हमें एक वर्ल्ड क्लास कंपनी बन सकती है और हम इंटरनेशनल मार्केट में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। 

फोनपे ने आरक्षण और प्रतिभा में से, प्रतिभा को चुना

कुल मिलाकर अपने बयान में समीर निगम ने एक बार फिर पूरी दृढ़ता के साथ दोहरा दिया है कि वह, किसी भी प्रकार के आरक्षण के आधार पर अपनी कंपनी में किसी को नौकरी देने के लिए तैयार नहीं है। PhonePe में केवल प्रतिभा और योग्यता के आधार पर ही नौकरी मिल सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत को, विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनना है तो प्रतिभाशाली व्यक्तियों को नौकरी देना बहुत जरूरी है। 

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