BNS 260 - अपराधी को अभिरक्षा से भगाने वाले पुलिस कर्मचारी के खिलाफ क्या कारवाई होगी जानिए

गवाह और सबूत के आधार पर न्यायालय द्वारा आरोपी को अपराधी घोषित किया जाता है। अपराधी को दंडित किया जाता है और उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल में बंद करने के आदेश दिए जाते हैं। यदि कोई पुलिस कर्मचारी अथवा अन्य कोई शासकीय कर्मचारी जो उसकी अभिरक्षा के लिए जिम्मेदार है, यदि अपराधी को भगा देता है या फिर भागने में मदद करता है अथवा भागने देता है। इस प्रकार अपराधी के साथ एक और अपराध में शामिल हो जाता है। तो ऐसे पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, पढ़िए -

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 260 की परिभाषा

कोई लोक सेवक किसी अपराधी को जिसे न्यायालय ने दण्डादेश दे दिया है, उसे विधिपूर्ण अभिरक्षा में रखने के लिए जिम्मेदार होता है लेकिन वही लोक सेवक, अपराधी को भगाने में मदद करेगा या उसे भगा देगा, या उसे भगाने देगा, तब उस लोक सेवक के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 260 के अंतर्गत मामला दर्ज होगा, क्योंकि यह केवल अनुशासनहीनता का मामला नहीं है बल्कि लोक सेवक एक अपराध में शामिल हो गया है।

THE BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023,SECTION 260 PROVISION OF PUNISHMENT

यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय एवं अज़मानतीय दोनों प्रकार के होते हैं, पुलिस इन अपराध में एफआईआर भी दर्ज कर सकती है एवं लोक सेवक के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद भी लगाया जा सकता है। यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है अर्थात इस अपराधों में राजीनामा नहीं होगा। इस अपराध की सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है।

BNS 260 धारा के अपराध की सजा को तीन भागों में बांटा गया है:-

1. मृत्यु दण्ड से दण्डित अपराधी को भगाने पर :- अधिकतम आजीवन कारावास जुर्माने के साथ या जुर्माने के बिना एवं कम से कम 14 वर्ष तक के कारावास से दण्डित होगा I यह अपराध अज़मानतीय होगा एवं सुनवाई सेशन कोर्ट में होगी।
2. आजीवन कारावास से लेकर दस वर्ष की कारावास तक के दण्डित अपराधी को भगा देने पर:- अधिकतम सात वर्ष की कारावास एवं जुर्माना रहित या सहित दोनों से से दण्डित किया जा सकता है। यह अपराध अजमानतीय होते हैं एवं इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है।
3. दस वर्ष से कम अपराध की सजा से दण्डित अपराधी को भगा देना गिरफ्तारी न करने पर अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। यह अपराध ज़मानतीय होते हैं एवं इनकी सुनवाई भी प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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