देश भर से हर रोज उज्जैन आने वाले लगभग 1 लाख तीर्थ यात्रियों को यह बताना बहुत जरूरी हो गया है कि महाकाल मंदिर के पास बने हुए लॉज-होटल में मत रुकना। क्योंकि इनमें से 200 से ज्यादा लॉज-होटल ऐसे हैं, जहां जान का खतरा है। फायर सेफ्टी नहीं है। आग लगी तो अपने कमरे से बाहर भी नहीं निकल पाओगे। मंदिर से थोड़ा दूर निकल कर देखिए, कुछ अच्छे होटल मिल सकते हैं। नगर निगम कमिश्नर ने उज्जैन के खतरनाक लॉज-होटल की लिस्ट जारी नहीं की है इसलिए यात्रियों से सिर्फ यही अपील की जा सकती है कि, किसी भी लॉज-होटल में रुकने से पहले उसकी फायर सेफ्टी जरूर चेक करें।
उज्जैन के 200 लॉज-होटल में फायर सेफ्टी नहीं है
महाकाल मंदिर के आसपास के 200 से ज्यादा लॉज-होटल में फायर सेफ्टी तक नहीं है। न तो फायर ऑडिट हुआ, न फायर एनओसी ली गई। सिर्फ एक होटल महाकाल भक्त निवास इस मापदंड में खरा उतरा है। महाकाल मंदिर के 2.5 किलोमीटर एरिया में ये होटल-लॉज चल रहे हैं। नक्शे घरों के हिसाब से पास हैं, लेकिन अधिकांश लोगों अपने घरों को लॉज में बदल दिया है। संकरी गलियां, घनी बसाहट में चलने वाले कुछ होटल और लॉज का हाल तो ये है कि आने-जाने का रास्ता एक ही गेट से है, रास्ता भी सिर्फ 3 फीट चौड़ा है। इनमें से कुछ के बोर्ड पर "मध्य प्रदेश पर्यटन द्वारा मान्यता प्राप्त" लिखा है। बता दें, फायर सेफ्टी नियमों के तहत 50 बेड से ऊपर वाले होटल और अस्पतालों को फायर एनओसी और इससे कम वाले होटल को फायर ऑडिट करवाना जरूरी है। इस आधार पर ही बिल्डिंग को सुरक्षित माना जाता है।
हर रोज 15000 लोगों की जान जोखिम में होती है
महाकाल लोक बनने के बाद हर दिन महाकाल मंदिर में 50 हजार से 1 लाख श्रद्धालु आ रहे हैं। विशेष मौकों पर ये संख्या और भी बढ़ जाती है। आसपास के होटल - लॉज में हर दिन 10 से 15 हजार लोग ठहरते हैं। एक रात ठहरने का चार्ज 1500 से 3000 रुपए है। एसी भी लगे हुए हैं, लेकिन फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं हैं। यदि कोई हादसा हो जाता है तो यात्री अपने कमरे से बाहर तक नहीं निकाल पाएंगे। पुराने जमाने के घरों को होटल बना दिया है, जबकि पुराने घर को तोड़कर होटल बनाया जाना चाहिए था।
उज्जैन नगर निगम कमिश्नर का बहाना सुनिए
उज्जैन नगर निगम के आयुक्त आशीष पाठक ने कहा, 'कार्रवाई कर रहे हैं। एरिया बड़ा है, स्टाफ लिमिटेड है। टीम गठित की है। कार्रवाई लगातार जारी है। हमारा मकसद सील करने से ज्यादा लोगों को जागरूक करना है। जब भी कोई घर - कॉम्प्लेक्स बनाता है, उसके मैप के साथ फायर प्लान अप्रूव हो जाता है। लेकिन, महाकाल क्षेत्र के घर, लॉज में बदल गए हैं।
यात्रियों को जागरुक करो
कुल मिलाकर उज्जैन के कमिश्नर का कहना है कि हम ना तो सीलिंग की कार्रवाई करेंगे और नहीं जुर्माना लगाएंगे। हम तो लोगों को जागरूक करेंगे। यहां उज्जैन नगर निगम के कमिश्नर यात्रियों को जागरूक करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। यात्रियों को नहीं बताया जा रहा है कि, जहां आप ठहरने जा रहे हैं वहां फायर सेफ्टी नहीं है। हजारों यात्रियों को तो पता ही नहीं है कि मंदिर के आसपास के अलावा कहीं दूर भी कोई होटल है जहां इतना जोखिम नहीं है।
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