मध्य प्रदेश का हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप कांड - अभिषेक, आरती और श्वेता बरी - MP NEWS

मध्य प्रदेश के सबसे हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप कांड से जुड़े एक मामले में सीआईडी कोर्ट का फैसला आ गया है। इसमें नाबालिग लड़की की मानव तस्करी के आरोप से आरती दयाल, श्वेता जैन और अभिषेक सिंह ठाकुर को बरी कर दिया गया है। कोर्ट में लड़की ने इन तीनों को पहचानने से इनकार कर दिया। सीआईडी भी कोई सबूत पेश नहीं कर पाई। 

एडीजे पल्लवी द्विवेदी की कोर्ट का फैसला

अभिषेक सिंह ठाकुर के वकील तारिक सिद्दीकी ने बताया कि सीआईडी कोर्ट में मानव तस्करी के सबूत पेश नहीं कर सकी। जबकि जिस महिला को मानव तस्करी का शिकार बताया जा रहा था उसने कोर्ट में आरोपियों को पहचानने से ही इनकार कर दिया। ऐसे में कोर्ट ने हमारी दलीलों को सुनने के बाद अभिषेक, आरती दयाल और श्वेता जैन को भी बरी कर दिया है। फैसला सोमवार को भोपाल में एडीजे पल्लवी द्विवेदी की कोर्ट ने सुनाया है।

7 पेज के बयान में सिर्फ एक बार श्वेता जैन का नाम

हनी ट्रैप केस की जांच के दौरान स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) को एक युवती की खरीद फरोख्त की जानकारी मिली थी। जिसके बाद सीआईडी भोपाल ने पीड़ित महिला की शिकायत पर मानव तस्करी का एक अन्य केस दर्ज किया था।

27 दिसंबर 2019 को 3 आरोपी अभिषेक, आरती और श्वेता के खिलाफ चालान पेश किया, और पीड़िता के साथ 11 गवाहों की सूची पेश की गई। सीआईडी को फरियादी ने 7 पेज का बयान सबूत के तौर पर दिया था। इसमें उसने सिर्फ एक बार श्वेता जैन का जिक्र किया। कहा कि उसे श्वेता और बरखा ने बताया था कि श्वेता जैन और आरती दयाल के संपर्क और भी बड़े लोगों से है।

हमारी गरीबी और मजबूरी का फायदा उठाया

महिला की मानव तस्करी का मामला दर्ज कराने वाले फरियादी (लड़की के पिता) ने पुलिस को बताया था कि अभिषेक, आरती, श्वेता जैन सागर और श्वेता जैन, बरखा सोनी व अन्य लोगों ने हमारी गरीबी और मजबूरी का फायदा उठाया, और मेरी बेटी व अन्य लड़कियों का शारीरिक व मानसिक शोषण कराया है। इस मामले में सीआईडी ने जिन 10 अन्य लोगों के बयान दर्ज किए थे उनमें से किसी में भी श्वेता जैन का जिक्र नहीं किया था।

लड़की पढ़ाई करने के लिए नरसिंहगढ़ से भोपाल आई थी

जांच एजेंसी को 29 सितंबर 2019 को पीड़िता ने बयान दिया था कि वह नरसिंहगढ़ जिले के एक गांव की रहने वाली है। उसकी परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। वह ग्रेजुएशन करने भोपाल आई थी। उसने एक इंस्टीट्यूट में प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया था। फरवरी 2019 में अभिषेक ठाकुर के संपर्क में आई और दोनों की फोन पर बात होने लगी।

NGO वाले अभिषेक ने जाल में फसाया

एनजीओ में काम करने वाले अभिषेक ने आर्थिक मदद की बात कही थी। इसके बाद प्रेम जाल में फंसाने के बाद पत्नी की तरह रखा। बाद में अश्लील वीडियो बनाए और दूसरों के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। बात नहीं मानने पर वीडियो वायरल करने की धमकी दी थी। हालांकि कोर्ट में पीड़िता इन तमाम आरोपों पर कायम नहीं रही। लिहाजा केस के तीनों आरोपी बरी करार दे दिए गए। 

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