MP NEWS - भोपाल, देवास में आजादी के लिए हमला, एक की मौत दूसरा घायल

Bhopal Samachar
इंसानों द्वारा जंगल में लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है। जंगल की जानवर अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब हिंसा के बदले हिंसा के मामले सामने आने लगे। भोपाल के जंगल में एक व्यक्ति की डेड बॉडी मिली है। वहीं दूसरी तरफ देवास में एक व्यक्ति घायल हो गया है। दोनों तेंदूपत्ता का संग्रहण करने के लिए गए थे।

इंसानों के अधिकारी ने जानवरों के जंगल पर अतिक्रमण का आदेश दिया

समाचार प्राप्त हुआ है कि, देवास जिले में तेंदूपत्ता तुड़ाई का काम शुरू हो गया है। गुरुवार सुबह खातेगांव के विक्रमपुर सबरेंज के अंतर्गत आने वाले आमला-हरणगांव के बीच जंगल में तेंदुए ने तेंदूपत्ता संग्राहक जगदीश पिता तेजराम माली पर हमला कर दिया। घायल जगदीश के शरीर पर कई जगह तेंदुए के नाखूनों के निशान साफ दिख रहे हैं। गौरतलब है कि खातेगांव क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले फॉरेस्ट एरिया में तेंदुओं का लगातार मूवमेंट बना रहता है। इसके बावजूद अधिकारियों ने 16 मई से तेंदूपत्ता तुड़ाई का कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। सरकारी अधिकारी का यह आदेश तेंदुआ की आजादी पर अतिक्रमण है। 

इंसानों का दोस्त टाइगर दुश्मन बन बैठे, हत्या कर दी

एक अन्य समाचार मिला है कि, रायसेन वन परिक्षेत्र के तहत खरवई बीट के रंगपुरा केसरी के जंगल में नीमखेड़ा निवासी मनीराम जाटव जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने गए थे। इसी दौरान उन पर बाघ ने हमला कर दिया। जिसके बाद उनके नीचे के आधे शरीर को खा गया। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि संबंधित क्षेत्र में दो बाघ का मूवमेंट है। गांव के लोगों को जंगल में ना जाने के लिए मुनादी कराई गई है। इसके बावजूद लोग जंगल में जा रहे हैं। 

जानवर मतदान नहीं करते, सरकार के अधीन नहीं आते

यहां इस बात का ध्यान रखना होगा कि, जंगल पर सरकार का शासन नहीं होता। अंग्रेजों ने पेड़ काटने के लिए फॉरेस्ट डिपार्मेंट बनाया था। आजादी के बाद अधिकारियों ने अपनी नौकरी कंटिन्यू करने के लिए डिपार्टमेंट खत्म नहीं किया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि, जंगल वन विभाग की संपत्ति है और कोई भी अधिकारी जानवरों के मामले में कोई फैसला ले सकता है। जानवरों की अपनी शासन व्यवस्था होती है। और डिस्टरबेंस मंजूर नहीं करते। ताजा घटना ने साबित कर दिया है कि यदि जानवरों की आजादी पर अतिक्रमण किया तो दोस्ती भूल कर दुश्मन बन जाएंगे। 

कम से कम सरकार को समझना चाहिए कि पृथ्वी पर इंसानों के जिंदा रहने के लिए पारिस्थितिक तंत्र जरूरी है और यह चिड़ियाघर के जानवरों से नहीं बन सकता।
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भोपाल एवं आसपास का इलाका टाइगर स्टेट है। यहां लगभग 100 टाइगर मूवमेंट करते हैं। 60 से ज्यादा टाइगर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की लिस्ट में दर्ज हैं। यह उनका इलाका है। सरकार को ध्यान देना होगा कि, जिस प्रकार हम दूसरे देश पर हमला नहीं करते, दूसरे देश की जमीन पर अतिक्रमण नहीं करते, ठीक उसी प्रकार जानवरों के देश पर भी हमला नहीं करें, उनकी जमीन पर अतिक्रमण न करें, उन्हें आजादी से जीने दें। थोड़ा बहुत तेंदूपत्ता कम हो जाएगा तो कोई संकट नहीं आएगा लेकिन टाइगर और जानवर खत्म हो गए तो मुश्किल हो जाएगी। 

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