MP COLLEGE ADMISSIONS - नए आदेश से लाखों स्टूडेंट्स और पेरेंट्स परेशान, वापस लेने की मांग

अपने रेस पूरी कर दी है और फिनिशिंग लाइन के बिल्कुल नजदीक आ गए हैं तभी अचानक रेस का आयोजन आपको टंगड़ी अड़ा दे। मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग मंत्रालय ने बिल्कुल ऐसा ही किया है। यूजी कोर्स में एडमिशन के लिए शनिवार को पहली लिस्ट जारी की गई और इसी के साथ MPHED ने एक आदेश जारी कर दिया कि एडमिशन कंफर्म करते ही साल भर की पूरी फीस जमा करनी होगी। जबकि पिछले साल तक सिर्फ ₹1000 जमा करके अपनी सीट कंफर्म कर सकते थे। 

स्टूडेंट्स और कॉलेज दोनों को MPHED का फैसला मंजूर नहीं

मध्य प्रदेश के हजारों स्टूडेंट्स और पेरेंट्स अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वह उच्च शिक्षा विभाग के इस आदेश से नाराज हैं और इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि शासन का यह निर्णय व्यावहारिक नहीं है। छात्राें का कहना है कि कई कॉलेजाें में बीए एलएलबी की फीस 80 हजार रुपए तक सालाना है। यही नहीं इंदाैर के 50 से ज्यादा कॉलेजाें ने हाल ही में बीबीए की फीस बढ़ाई गई है। यहां बीबीए की औसत फीस ही 42 हजार तक पहुंच गई है। अब छात्राें काे महज आठ दिन की समय-सीमा में पूरी फीस भरना हाेगी। खुद कॉलेज भी इस निर्णय काे अव्यावहारिक बता रहे हैं। उनका कहना है कि इससे छात्र एडमिशन ही नहीं लेंगे और उनकी सीटें खाली रह जाएंगी।

मध्य प्रदेश हजाराें छात्राें के कॉलेज एडमिशन पर संकट 
इस निर्णय पर शिक्षाविदाें ने भी आश्चर्य जताया है। प्राचार्य मंच के अध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार झालानी का कहना है कि सरकारी कॉलेज में प्रवेश लेने वाले 80 फीसदी छात्र या ताे आर्थिक रूप से कमजाेर हैं या ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। ऐसे में वे एक साथ 10 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक फीस कैसे जमा कर सकेंगे। शिक्षाविद् डॉ. रमेश मंगल का कहना है कि यह निर्णय चाैंकाने वाला है। इसे तुरंत वापस लेना चाहिए। हजाराें छात्राें के एडमिशन पर ही संकट आ जाएगा।

MPHED के फैसले से कितने विद्यार्थी प्रभावित होंगे 

मध्य प्रदेश के कॉलेज में स्नातक कोर्स के लिए टोटल 8.09 लाख सीट उपलब्ध है। उच्च शिक्षा विभाग के फैसले से उपरोक्त सभी विद्यार्थी प्रभावित होंगे। पहले राउंड में 1.48 लाख रजिस्ट्रेशन हुए हैं। इनके लिए तो हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट का आदेश किसी आघात से कम नहीं है, क्योंकि इन्हें बहुत कम समय दिया गया है।

शासन का तर्क- काेविड के समय दी थी सुविधा- अब पहले जैसा सिस्टम लागू किया

उच्च शिक्षा विभाग के ओएसडी धीरेंद्र शुक्ला कहना है कि इस साल से दाेबारा पुरानी व्यवस्था ही लागू कर रहे हैं। एक साथ पूरी फीस भरने की व्यवस्था पहले भी लागू थी। 2012 से 2019 तक यही व्यवस्था थी लेकिन 2020 में काेविड के दाैरान सिर्फ एक हजार रुपए फीस देने की व्यवस्था लागू की थी, ताकि छात्राें व अभिभावकाें पर बाेझ न आए। 

शुक्ला जी से सिर्फ एक सवाल 

सर्जिकल स्ट्राइक क्यों किया। यदि आप पुरानी व्यवस्था लागू करने वाले थे तो जब रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हुई थी तभी फीस के बारे में स्थिति स्पष्ट कर देते। सबका माइंडसेट क्लियर होता और लोगों को धोखाधड़ी वाली फीलिंग नहीं आती। यदि आपसे और आपके मंत्री जी से चुनाव के कारण गलती हो गई है तो अब इसे अगले साल सुधार लीजिएगा। शायद आपको नहीं पता कि, मध्य प्रदेश में बहुत सारे लोगों के लिए ₹20000 महीना कामना कितना मुश्किल काम है। 

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