डूबने की कगार पर पहुंच चुकी टेलीकम्युनिकेशन कंपनी वोडाफोन आइडिया में नई जान आ गई है। भारत का अब तक का सबसे बड़ा FPO लॉन्च किया गया और शेयर बाजार में आम नागरिकों ने 18000 करोड रुपए इन्वेस्ट कर दिए। इस घटना के बाद वोडाफोन आइडिया का शेयर प्राइस, जो पिछले कुछ सालों से लगातार गिर रहा था, अचानक रॉकेट की तरह ऊपर जाने लगा है। सवाल यह है कि क्या यह रैली बनी रहेगी। FPO में जो शेयर्स मिल गए हैं उन्हें बेचकर अपना प्रॉफिट बुक करें या फिर अभी होल्ड करें।
लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए अच्छा हो सकता है
सीएनबीसी आवाज़ पर डिस्कशन के दौरान अमरीश परीकर का कहना है कि, वोडाफोन आइडिया को इस समय बेचना नहीं चाहिए। कंपनी के बुरे दिन खत्म हो गए हैं। अब अच्छे दिन आने वाले हैं। पहले कहा जा रहा था कि कंपनी डूब जाएगी लेकिन अब लगने लगा है कि कंपनी मार्केट में सरवाइव करेगी और कंपटीशन फाइट करेगी। वोडाफोन आइडिया के स्टॉक की कीमत जितनी कम होनी थी हो चुकी है। अब इसे ऊपर ही जाना चाहिए। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए यह काफी अच्छा हो सकता है।
MSCI में शामिल होने का प्रबल दावेदार है
सीएनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इसी हफ्ते ही IIFL की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2024 में MSCI इंडेक्स में शामिल हो सकता है। इससे शेयर में नई खरीदारी शुरू होने की उम्मीद है। Quant Research की रिपोर्ट के मुताबिक- एफपीओ के बाद अगस्त रिव्यू में शेयर को MSCI में शामिल किया जा सकता है। अगर शेयर का भाव ₹14 के ऊपर बना रहता है तो ये MSCI में शामिल होने का प्रबल दावेदार है।
इसके अलावा IIFL की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2024 में शेयर MSCI इंडिया इंडेक्स में शामिल हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो शेयर में 27-28 करोड़ अमेरिकी डॉलर की खरीदारी हो सकती है। ये रकम रुपये में करीब ₹2200-2300 करोड़ बैठती है।
अगर शेयर का भाव 14 रुपये के ऊपर बना रहता है तो ये MSCI में शामिल होने का प्रबल दावेदार है। इसके अलावा IIFL की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2024 में शेयर MSCI इंडिया इंडेक्स में शामिल हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो शेयर में 27-28 करोड़ अमेरिकी डॉलर की खरीदारी हो सकती है। ये रकम रुपये में करीब 2200-2300 करोड़ रुपये बैठती है।
कुल मिलाकर सीएनबीसी के विशेषज्ञों का कहना है कि होल्ड करना चाहिए और लॉन्ग टर्म के लिए अच्छा है जबकि दूसरी तरफ वोडाफोन आइडिया की लिस्टिंग के तत्काल बात लोगों ने बड़े पैमाने पर अपने हिस्से में आए शेयर्स बेच दिए और मुनाफा वसूली कर ली। कंपनी मैनेजमेंट के कॉन्फिडेंस को देखते हुए, शेयर बाजार में बेचने वालों से ज्यादा खरीदारों की संख्या थी। इसके कारण शेयर का प्राइस बढ़ गया।
डिस्क्लेमर - यह केवल एक समाचार है जो INDIAN SHARE MARKET के निवेशकों को जानकारी देने के लिए प्रकाशित किया गया है। हम किसी भी कंपनी में INVESTMENT करने अथवा इन्वेस्टमेंट नहीं करने के लिए प्रेरित नहीं करते। कृपया अपने FINANCIAL ADVISOR से परामर्श करें और शेयर मार्केट में अपनी स्टडी के आधार पर निवेश करें।
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