मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग एवं ट्राइबल डिपार्टमेंट के लिए नोडल एजेंसी लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल द्वारा की गई माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में विवाद के बाद 600 से अधिक उम्मीदवारों द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिकाओं की आज सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने लोक शिक्षण संचालनालय से पूछा है कि, जब संयुक्त पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया था तो फिर नियुक्ति प्रक्रिया संयुक्त रूप से क्यों नहीं की गई। उम्मीदवारों का आरोपी की इस मामले में घोटाला हुआ है। नोडल एजेंसी ने मनमानी तरीके से उम्मीदवारों की नियुक्ति की है।
मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती में नियुक्ति के समय किसी नियम का पालन नहीं किया गया
लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा संचालित की गई मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में कई विवाद हैं। इनमें से एक माध्यमिक शिक्षक भर्ती मामले में 600 से अधिक उम्मीदवारों का कहना है कि, उन्हें उनकी मर्जी के बिना ट्राइबल डिपार्टमेंट में नियुक्ति दे दी गई। जबकि कई उम्मीदवारों को उनकी मर्जी के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति दी गई। नियुक्ति की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की मेरिट का पालन नहीं किया गया। अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को जबरदस्ती ट्राइबल डिपार्टमेंट में नियुक्त किया गया जबकि कम कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को स्कूल शिक्षा विभाग में इसलिए नियुक्त किया गया क्योंकि वह स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति चाहते थे।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में माननीय न्यायमूर्ति श्री विशाल धगट की खंडपीठ द्वारा याचिका कर्ताओं के तर्कों से सहमत होकर, शासन द्वारा अपनाई भर्ती प्रक्रिया को भेदभावपूर्ण माना। माननीय हाई कोर्ट द्वारा कहा गया कि शासन सर्वप्रथम यह बताए कि ततसमय कुल रिक्तियां कितनी थी तथा शासन ने अलग-अलग चरणों में भर्ती प्रक्रिया क्यों की तथा याचिकाकर्ताओ से कम अंक वाले कितने अभ्यर्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्तियां दी गई हैं। राज्य शासन उक्त समस्त जानकारी हाईकोर्ट में आगामी सुनवाई 13/5/24 के पूर्व हाईकोर्ट में प्रस्तुत करे।
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि मध्य प्रदेश में उच्च माध्यमिक (हाई स्कूल) शिक्षकों के 34789 पद स्वीकृत है, माध्यमिक शिक्षकों (मिडिल स्कूल टीचर) के 60686 तथा प्राथमिक शिक्षकों के 125243 पद स्वीकृत है, वर्तमान में लगभग 63% नियमित पद रिक्त है। जबकी राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 के प्रावधानों तथा NCTE की गाइड लाइन के तहत 10% से अधिक पद रिक्त नहीं रखे जा सकते। क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 21A में भारत के नागरिकों को शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया गया है।
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