हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश की ग्वालियर बेंच ने अपर सत्र न्यायालय डबरा की आपराधिक अवमानना के मामले में आंतरी थाने के सब इंस्पेक्टर जय किशोर राजौरिया को सजा के लिए एक और मौका दिया गया है। हाई कोर्ट ने पुलिस डिपार्टमेंट से कहा कि लाइन अटैच करना कोई सजा नहीं है। विभागीय जांच हुई या नहीं। हाईकोर्ट ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए 6 MAY की तारीख निर्धारित की है।
सब इंस्पेक्टर की माफ़ी ना मंजूर, सजा दी जाएगी
अपर सत्र न्यायालय डबरा ने आंतरी थाने के एक केस में गवाही के लिए सब इंस्पेक्टर जय किशोर राजौरिया को बुलाया था। कोर्ट के बुलाए समय पर वे हाजिर नहीं हुए तो न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की, इससे खिन्न होकर एसआई ने उलटे अभद्रता कर डाली। इस अशालीन व्यवहार पर न्यायालय ने आपराधिक अवमानना का केस दर्ज कर लिया। मामला हाईकोर्ट आ गया। जय प्रकाश राजौरिया ने अपनी गलती के लिए न्यायालय से माफी मांगी, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया। अब इन्हें दंड पर सुना जाना है।
ऐसे तो पुलिस और न्यायालय के बीच टकराव शुरू हो जाएगा
- कोर्ट ने कहा कि न्यायालय में जो केस आते हैं, उसमें से 50 फीसदी केस जिला एवं सत्र न्यायालय में आते हैं। हाईकोर्ट का कर्तव्य वहां के जजों की रक्षा करना है। यह साफ हो चुका है कि जयकिशोर राजौरिया ने निचली अदालत में अभद्रता की है। इसमें स्टाफ के बयान भी दर्ज हैं।
- कोर्ट ने कहा कि एक कांस्टेबल आए और जजों को धमकाए और बेइज्जती करे, उसे सहा नहीं जाएगा।
- कोर्ट ने कहा कि कल को निचली अदालतों में पुलिस अधिकारियों की घेराबंदी भी करना शुरू कर देंगे और न्यायालय में खड़ा रखेंगे।
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