दिनांक 14 मार्च 2024 से खरमास प्रारंभ हो गया है। इसकी अवधि एक मास होती है। दिनांक 13 अप्रैल 2024 को यह समाप्त हो जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस अवधि में भगवान सूर्य, भगवान बृहस्पति के घर यानी बृहस्पति की राशि मीन में प्रवेश करते हैं। यानी देवताओं के राजा सूर्य, देवताओं के गुरु बृहस्पति के घर आते हैं। एक महीने तक रहते हैं। इसलिए इस अवधि में भगवान बृहस्पति से संबंधित सभी कार्य स्थगित कर दिए जाते हैं।
खरमास तो भगवान विष्णु का महीना है, फिर अशुभ कैसे हुआ
खरमास अशुभ नहीं होता बल्कि बृहस्पति ग्रह से संबंधित कार्यों के लिए वर्जित होता है, क्योंकि भगवान बृहस्पति इस समय आपका कल्याण के लिए उपस्थित नहीं होते। इस महीने को मीनमास भी कहते हैं। मीन का अर्थ होता है मछली, जिसका स्वभाव स्थिर नहीं होता। इसलिए भी मान्यता है कि इस महीने में आप जो कुछ भी करेंगे वह आपके जीवन में स्थाई नहीं होगा। एक आध्यात्मिक लॉजिक यह भी है कि, इस एक महीने में सभी प्रकार के भोग विलास छोड़कर, भगवान विष्णु की पूजा करें, अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करें, तीर्थ यात्रा करें, धार्मिक अनुष्ठान करें और स्वयं से साक्षात्कार करें। विस्तार से पढ़िए की खरमास अथवा मीनमास में क्या काम किया जा सकता है और क्या नहीं किया जा सकता है।
खरमास में क्या काम नहीं किया जा सकते
- विवाह समारोह का आयोजन नहीं किया जा सकता।
- विवाह से संबंधित कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जा सकता।
- प्रॉपर्टी नहीं खरीद सकते।
- निर्माण के लिए भूमि पूजन नहीं कर सकते।
- गृह प्रवेश नहीं कर सकते।
- संपत्ति का विक्रय भी नहीं कर सकते।
- नया व्यापार और कारोबार शुरू नहीं कर सकते।
- प्रचलित व्यापार का एक्सटेंशन नहीं कर सकते।
- शासकीय कर्मचारी संभव हो तो ट्रांसफर पोस्टिंग स्थगित कर दें।
- द्विरागमन, कर्णवेध संस्कार, और मुंडन भी वर्जित है।
- वाहनों की खरीद बिक्री नहीं कर सकते।
- निवास अथवा व्यापार का स्थान परिवर्तन वर्जित है।
- आभूषण इत्यादि के लिए सोना चांदी नहीं खरीद सकते।
- भोग विलास के लिए किसी भी प्रकार की धातु की खरीदारी नहीं कर सकते।
खरमास में क्या काम किया जा सकते हैं
- तीर्थ यात्रा शुभ एवं मंगलकारी होती है। मनोकामना पूरी होती है।
- सभी प्रकार के धार्मिक आयोजन किए जा सकते हैं।
- श्री सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा का भव्य आयोजन अत्यंत लाभदायक माना गया है।
- यज्ञ हवन इत्यादि का आयोजन कर सकते हैं।
- माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रात्रि जागरण का आयोजन कर सकते हैं।
- घर के मंदिर के लिए नई तस्वीर अथवा प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं।
- मंदिरों में अपने देवता की प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं।
- अकारण उपस्थित हुए कष्ट से मुक्ति के लिए कुल देवता का पूजन अनिवार्य रूप से करना चाहिए।
- शत्रुओं पर विजय के लिए भगवान सूर्य को जल अर्पित करें।
- दान करने के लिए सभी प्रकार की खरीदारी शुभ है।
- शास्त्रों के ज्ञाता विद्वान ब्राह्मण को भोजन एवं दान इत्यादि से प्रसन्न करना मंगलकारी है।