मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के तालाब के मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम की याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि, तालाब पर्यटन निगम की प्रॉपर्टी नहीं है। जल स्रोतों पर मनुष्यों के साथ पशु पक्षियों का भी समान अधिकार है। सरकार कोई ऐसा काम नहीं कर सकती जिसके कारण पशु पक्षियों की स्वतंत्रता बाधित होती हो, अथवा उन्हें किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचाने की संभावना हो।
पर्यटन निगम वाले भोपाल के तालाब में क्या करना चाहते हैं
MPT - मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम वाले भोपाल के तालाब को अपने फायदे के लिए उपयोग करना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि तालाब पर क्रूज बोट चलाई जाए। इसके अलावा पेट्रोल डीजल के इंजन वाली दूसरी बोट भी चलाई जाए। तालाब में रहने वाले जीव जंतु और पशु पक्षियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसका विचार किए बिना मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम वाले अपने प्रोजेक्ट तैयार करते हैं। पैसा कमाने और सरकारी VVIP मेहमानों, बड़े अधिकारियों, ताकतवर नेताओं और करोड़पति कारोबारी को स्पेशल लग्जरी देने के लिए किसी भी नियम को तोड़ने के लिए तैयार रहते हैं। हिम्मत देखिए, NGT द्वारा प्रतिबंध लगा दिए जाने के बावजूद, उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने गए थे।
बड़े तालाब में सितंबर से बंद है क्रूज का संचालन
एनजीटी की सेंट्रल जोन बेंच ने 12 सितंबर 2023 को भोपाल के बड़े तालाब, नर्मदा समेत प्रदेश की किसी भी जलाशय में क्रूज और मोटर बोट के संचालन पर रोक लगा दी थी। एनजीटी ने डीजल इंजन से निकलने वाले उत्सर्जन को इंसानों समेत जलीय जीवों के लिए खतरा बताते हुए इन्हें बंद करने का आदेश दिया था।
झीलें होंगी, तभी पर्यटक आकर्षित होंगे
पर्यटन विकास निगम ने तर्क दिया कि अन्य छह रामसर साइट में क्रूज और मोटर बोट का संचालन हो रहा है, तो फिर केवल एक ही रामसर साइट (भोपाल का बड़ा तालाब) पर रोक लगाना गलत है। इस पर बेंच ने कहा कि हम वहां भी इसे रोक देंगे। वहीं निगम ने मुद्दा उठाया कि ऐसे तो फिर टूरिज्म को कैसे बढ़ावा मिलेगा। इस पर बेंच ने कहा कि अधिक झीलें होंगी तो वे पर्यटक को अधिक आकर्षित करेंगी। टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इनका संरक्षण बेहद जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ये होगा असर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ओंकारेश्वर, भोपाल का बड़ा तालाब, हनुमंतिया, गांधी सागर, तवा रिसोर्ट जैसे अन्य पर्यटन क्षेत्रों पर ये तत्काल प्रभाव से क्रूज व बोट हटा दी जाएंगी। पैडल बोट पहले की तरह चलती रहेंगी। पर्यटक इनका पहले की तरह ही लुत्फ उठाते रहेंगे। इसका असर सिर्फ मध्य प्रदेश तक नहीं रहेगा, बल्कि इस फैसले का हवाला देकर गंगा, ब्रह्मपुत्र और कावेरी जैसी नदियों को बचाने के लिए भी याचिकाएं लगाई जा सकती हैं, जिससे उनका संरक्षण हो सके।
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