मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में पुलिस विभाग के प्रधान आरक्षक राजेश पाराशर को न्यायालय द्वारा भ्रष्टाचार का दोषी घोषित करते हुए 4 साल जेल एवं 10 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई।
रिश्वत की किस्त का निर्धारण किया जा रहा था
अभियोजन के अनुसार दिनांक 05 दिसम्बर 2017 को आवेदक सतीश कुमार गुप्ता पुत्र डब्बूराम गुप्ता निवासी डबरा द्वारा लोकायुक्त कार्यालय ग्वालियर में उपस्थित होकर प्रधान आरक्षक राजेश पाराशर की शिकायत करते हुए बताया था कि, उसके मिट्टी के डंपर को पिछोर थाना क्षेत्र में चलाये जाने बावत प्रति माह 16000 रू रिश्वत की मांग की जा रही है। नहीं देने पर डंपर बंद कर देने के की धमकी दी जा रही है।
पिछोर में प्रधान आरक्षक राजेश पाराशर रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार
लोकायुक्त पुलिस द्वारा नियम अनुसार शिकायत का सत्यापन कराया गया। ऑडियो एविडेंस कलेक्ट किए गए। इसके बाद ट्रैप दल का गठन किया गया। प्लानिंग के तहत शिकायतकर्ता को केमिकल युक्त नोट देकर रिश्वत देने के लिए भेजा गया। दिनांक 08 जनवरी 2018 को प्रधान आरक्षक राजेश पाराशर को थाना पिछोर के सामने स्थित एक चाय की दुकान पर 16000 रू की रिश्वत लेते रंगे हाथों ट्रेप किया गया। इन्वेस्टिगेशन के बाद शिवपुरी में भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई के लिए गठित स्पेशल कोर्ट में चार्ज शीट पेश की गई है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 एवं धारा 13 (1) डी
न्यायालय में प्रधानारक्षक राजेश पाराशर को बचाव का मौका दिया गया परंतु व स्वयं को निर्दोष साबित नहीं कर पाए। माननीय न्यायालय द्वारा प्रधान आरक्षक राजेश पाराशर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 का दोषी घोषित करते हुए तीन वर्ष का कारावास व 5000 रू एवं धारा 13 (1)डी में 4 वर्ष का कारावास व 5000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया। पुलिस लोकायुक्त की ओर से प्रकरण का संचालन सुनील त्रिपाठी, विशेष लोक अभियोजक जिला शिवपुरी के द्वारा की गई।
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