भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 96 एवं नए कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 34 में भारतीय नागरिकों को प्राइवेट प्रतिरक्षा का कानूनी अधिकार दिया गया है,परन्तु इस अधिकार की दो सीमाएँ है:-
1. ऐसे किसी कार्य के लिए इसका प्रयोग उचित नहीं होगा जो बचाव न होकर निश्चित रूप से एक अपराध है।
2. यदि किसी व्यक्ति ने स्वयं आक्रमण किया हो और वह अपने बचाव में प्रतिरक्षा के अधिकार का तर्क प्रस्तुत नहीं कर सकता है।
The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 34, Indian Penal Code, 1860 section 96 Punishment
1. भंवर सिंह तथा अन्य बनाम मध्यप्रदेश राज्य :- मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिनिर्धारित किया कि निजी प्रतिरक्षा का अधिकार व्यक्ति को स्वयं आपराधिक दायित्व से बचाने के लिए प्राप्त है, न कि आक्रमण का अधिकार है और न प्रत्याघात के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। जब तक स्वयं की जान माल का कोई खतरा उपस्थित ना हो, निजी प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त नहीं होता है।
2. कश्मीरी लाल बनाम पंजाब राज्य मामले मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि व्यक्ति जो स्वयं आक्रामक हो और दूसरे व्यक्ति पर विधि विरुद्ध हमला करता हो तो उसे प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त नहीं होगा। यानी यदि कोई व्यक्ति किसी को मारने के लिए हमला करें और दूसरा व्यक्ति अपनी प्रतिरक्षा में जवाबी हमला कर दे। इस संघर्ष में हमलावर व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति को मार डालने अथवा गंभीर रूप से घायल कर देने में सफल हो जाए तो इस घटना में हमलावर व्यक्ति को निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का लाभ नहीं दिया जा सकता।
कुलमिलाकर, कोई व्यक्ति जो स्वयं आक्रमण करता है वह प्रतिरक्षा के कानून के अंतर्गत बचाव नहीं मांग सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 , इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com