मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जिला प्रशासन कितना निष्ठुर और असंवेदनशील है, आज इसका प्रमाण होशंगाबाद रोड पर दिखाई दिया। यूनिवर्सिटी के सामने स्पीड ब्रेकर और यूनिवर्सिटी के पास नियम विरुद्ध स्थापित की गई शराब की दुकान को शिफ्ट करने की मांग को लेकर विद्यार्थियों को 6 घंटे तक सड़क पर धरना देना पड़ा। जो काम एक ज्ञापन पर हो जाना चाहिए था, उसके लिए लोकतंत्र का अंतिम अस्त्र उपयोग करना पड़ा।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल के विद्यार्थियों की 2 जायज मांगे
घटना यूनिवर्सिटी के गेट के सामने शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे की है। भोपाल में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे एक छात्र को लोडिंग वाहन ने टक्कर मार दी। वाहन से टकराकर गिरे छात्र को एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में भर्ती कराया गया है। हादसे के बाद संस्थान के छात्र गेट पर धरने पर बैठ गए, और प्रदर्शन करने लगे। जिससे होशंगाबाद रोड से बाग मुगालिया की तरफ जाने वाले रास्ते पर जाम की स्थिति निर्मित हो गई। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने 2 मांगे रखी। पहली, संस्थान के सामने स्पीड ब्रेकर बनाया जाए। दूसरी, नजदीक स्थित शराब दुकान को हटाया जाए।
विद्यार्थी 6 घंटे तक सड़क पर बैठे रहे, कलेक्टर मिलने तक नहीं आए
छात्रों ने बताया कि हम लंबे समय से यहां से गुजरने वाले तेज रफ्तार वाहनों को लेकर पुलिस और प्रशासन को पत्र लिख रहे हैं। बावजूद इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यही नहीं, यहां नजदीक संचालित शराब दुकान पर खड़े लोग छात्राओं से छेड़छाड़ करते हैं। जिससे उन्हें आने जाने में भी दिक्कत होती है। हमारी मांग है कि इन 2 समस्याओं की समाधान किया जाए। सूचना पर पुलिस और प्रशासन के अफसर मौके पर पहुंचे और समझाइश दी। छात्र सुबह करीब 10:15 बजे से शाम 4:15 बजे तक धरने पर बैठे रहे, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। धरना 13 विद्यार्थियों को आश्वासन दिया गया कि उन्हें कलेक्टर से मिलवाया जाएगा। कलेक्टर ही फैसला करेंगे। एसडीएम आशुतोष गोस्वामी ने कहा कि स्पीड ब्रेकर हम बनवा देते हैं। शराब की दुकान का फैसला ऊपर से होगा।
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