मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में राजधानी भोपाल में चुनाव ड्यूटी में लगे अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही के सैकड़ो मामले सामने आ चुके हैं। मध्य विधानसभा में तो चुनाव अधिकारी ने एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर यह मान लिया कि उसकी पत्नी की भी मृत्यु हो गई होगी और दोनों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए। जब महिला वोट डालने पहुंचे तब उसे पता चला।
पति का नाम हटाने आवेदन दिया था
जेल रोड, जहांगीराबाद निवासी 87 वर्षीय सुलोचना दिवाकर मध्य विधानसभा के वेटनरी काॅलोनी स्थित पोलिंग बूथ नंबर 69 पर अपने बेटे राजीव दिवाकर के साथ मतदान के लिए पहुंची थीं। राजीव ने बताया कि मां को वोट नहीं डालने दिया। पूछने पर बताया कि नाम डिलीट लिस्ट में है। राजीव के मुताबिक बीएलओ के पास खड़े एक कर्मचारी ने बोला- निरीक्षण के दौरान वह घर में नहीं मिली होंगी, वे 87 साल की हैं तो चली गई होंगी, ऐसा मानकर डिलीट कर दिया गया। राजीव का कहना है कि पिता बीएल दिवाकर का निधन होने पर 4 महीने पहले उनका नाम डिलीट कराया था। मां का नाम अपने आप ही डिलीट कर दिया। घर पर कोई निरीक्षण करने नहीं आया।
एक वोटर के दो अलग-अलग नाम से वोटर कार्ड बना दिए
वार्ड 35 के रहने वाले हर्ष गुप्ता ने बताया कि उनके नाम पर दो कार्ड बने हैं। एक में उनका नाम हर्ष गुप्ता है। यह सही है, लेकिन दूसरा कार्ड तरुण गुप्ता के नाम का बनाया गया है। यह बीएलओ की लापरवाही से हुआ। दोनों में पिता के नाम तो सही है, लेकिन उम्र अलग है।
घंटों भटकते रहे लोग
काजी कैंप के कांग्रेस नगर में मतदान केंद्र के ठीक सामने 10 मीटर की दूरी पर मकान का सत्यापन नहीं किए जाने से महिला वोटर कार्ड लेकर भटकती रही। उसे बताया गया कि उसका नाम कट चुका है। रोहित नगर बावड़िया कलां में रहने वाले जगदीश चंद्रा और उनकी पत्नी वोटर कार्ड रिजेक्ट हो जाने के कारण वोट नहीं कर पाए।
95% वोटर्स को मतदाता पर्ची बांट दी गई थीं,कलेक्टर का दावा
आशीष सिंह, कलेक्टर भोपाल ने दावा किया है कि, शहर में इस बार करीब 95% वोटर्स को मतदाता पर्ची बांट दी गई थीं। किसी भी राजनीतिक दल या आम आदमी ने पर्ची नहीं मिलने की शिकायत नहीं की है। जबकि लोगों का कहना है कि उन्हें इस बार मतदाता प्रति नहीं मिली है और जब उन्होंने शिकायत करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1950 पर कॉल किया तो लंबे समय तक संगीत सुनाई देता रहा किसी ने फोन रिसीव नहीं किया और फोन अपने आप कट गया। एक मतदाता ने बताया कि बार-बार फोन लगाने पर करीब 2 घंटे बाद फोन रिसीव हुआ। जिस व्यक्ति ने फोन रिसीव किया उसे मध्य प्रदेश के बारे में जानकारी ही नहीं थी। उसने चुनाव प्रेक्षक का मोबाइल नंबर दे दिया। शिकायत दर्ज नहीं की। चुनाव प्रेक्षक का मोबाइल नंबरस्विच ऑफ मिला।
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