जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ मध्य प्रदेश ने एक महिला कर्मचारी का ट्रांसफर स्थगित कर दिया क्योंकि वह गर्भवती है एवं उसके वृद्ध सास एवं ससुर उसकी सहायता पर निर्भर करते हैं। उच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश शासन से कहा है कि वह, महिला कर्मचारी के अभ्यावेदन पर विचार करके निर्णय करें।
50 किलोमीटर दूर ट्रांसफर किया, अप-डाउन भी नहीं कर सकती
श्रीमती नीतू ठाकुर, नर्सिंग ऑफिसर, जिला हॉस्पिटल में पदस्थ थीं। श्रीमती ठाकुर का ट्रांसफर प्रशासनिक आधारों पर, 07 जुलाई को, जिला अस्पताल, सिवनी से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, खवासा (कुरई) कर दिया गया था। जिसकी दूरी लगभग 50 किलोमीटर है। ट्रांसफर से पीड़ित होकर, श्रीमती ठाकुर के द्वारा, उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर कर, ट्रांसफर के विरुद्ध राहत मांगी गई थी।
कर्मचारी की ओर से अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी, उच्च न्यायालय जबलपुर को पैरवी के दौरान बताया गया कि, कई कारणों से कर्मचारी का ट्रांसफर निरस्त करने योग्य है। कोर्ट की बताया गया कि, वह अपने साथ ससुर की देखभाल के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि दोनों वृद्ध है और उनकी सहायता पर निर्भर है। महिला कर्मचारी स्वयं भी खराब स्वास्थ्य का सामना कर रही है एवम गर्भवती है। अतः कर्मचारी को ट्रांसफर से संरक्षण प्रदान किया जावे।
अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी को सुनने के बाद, उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने आदेश दिया है कि याचिका कर्ता पुनः ट्रांसफर के निरस्त करने हेतु, विभाग के समक्ष अभ्यावेदन दे। अभ्यावेदन निराकरण की अवधि में ट्रांसफर स्टे रहेगा। यदि पीड़ित महिला कर्मचारी के स्थान पर किसी अन्य कर्मचारी ने ज्वाइन नही किया है तब वे वर्तमान स्थल पर कार्य करेंगे।
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