Legal general knowledge and law study notes
सरकारी योजनाओं के तहत लोन देने के लिए बैंक और सरकार के बीच में अनुबंध होता है। इस अनुबंध के तहत बैंक, इस बात के लिए पाबंद होता है कि सरकार की तरफ से जिस भी हितग्राही का चयन किया जाएगा, बैंक शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम औपचारिकता पूरी करके लोन की रकम प्रदान कर देगा। यानी कोई भी बैंक अधिकारी अपनी मर्जी या बैंक की पॉलिसी के अनुसार सरकारी योजना के तहत स्वीकृत हुए लोन को पास करने में आनाकानी नहीं कर सकता। यदि वह लोन देने में विलंब करता है, आपके केस को पेंडिंग में डाल देता है, पढ़िए उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है।
मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम, 1982 की धारा 22(क) की परिभाषा
जो कोई राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण या किसी लोक उपक्रम का कोई ऋण उधार में या अग्रिम कोई कार्यवाही में या सब्सिडी मंजूर करने वाला अधिकारी होते हुए जान-बूझकर भ्रष्टाचार के उद्देश्य से :-
1. झूठी रिपोर्ट तैयार करेगा या सत्य तथ्यों की जानकारी छुपायेगा।
2. ऋण के दस्तावेज तैयार करने में बहुत अधिक समय लगाएगा।
3. या सब्सिडी के लोन को पास करने में इतना समय लगाएगा सरकारी बजट ही लैस हो जाए।
तब ऐसे बैंक अधिकारी या कर्मी पर उपर्युक्त अधिनियम की धारा 22(क) के अंतर्गत कार्यवाही होगी।
Madhya Pradesh Prevention of Specified Corrupt Practices Act, 1982 Section 22(a) Punishment
दण्ड का प्रावधान:- यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध है,पुलिस अधिकारी तुरंत एफआईआर द्वारा मामले का संज्ञान लेगा, इनका विचारण किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट या सेशन कोर्ट द्वारा किया जा सकता है सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या जुर्माने या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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