आदरणीय महोदय जी, सादर नमस्कार! माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने लंबी जिरह के बाद जनवरी 2023 मे सुरक्षित किये अपने निर्णय को सभी पक्षों की दलीलों व सबूतों को ध्यान मे रखते हुये एनसीटीई के गजट नोटिफिकेशन को मनमाना मानते हुये निरस्त कर दिया है व अपने विस्तृत फैसले मे 38 बिंदुओं को समाहित किया है जिनका मूल सार यह है कि डीएलएड व बीएसटीसी को कक्षा 1 से 5 तक के विधार्थियों की शिक्षा के लिये उचित माना है। बीएड को एक ब्रिज कोर्स के द्वारा 6 माह मे प्राथमिक शिक्षा के लिये उपयुक्त बनाया जायेगा जबकि डी एल एड, बी एस टी सी के लिये किसी ब्रिज कोर्स की आवश्यकता नही है व यह कोर्स पूर्ण रूप से प्राथमिक शिक्षा के लिये उपयुक्त है। इन कोर्सों को करने वाले अभ्यार्थियों को प्राथमिक शिक्षण हेतु उपयुक्त मनोविज्ञान का पूर्ण ज्ञान है व यह शिक्षा अधिकार अधिनियम मे वर्णित योग्यता को पूरा करते है।
बीएड अभ्यार्थियों की प्राथमिक शिक्षक के रूप मे नियुक्ति बिना ब्रिज कोर्स अप्रासंगिक है, इसलिये म.प्र सरकार को तत्काल प्राथमिक शिक्षक द्वितीय चरण की चयन प्रक्रिया से बीएड को बाहर करते हुये डीएड, डीएलएड अभ्यार्थियों को नियुक्ति देना चाहिये क्योंकि यदि सरकार यह नहीं करती तो यह प्राथमिक शिक्षा ले रहे छात्रों के शिक्षा संबंधी मूल अधिकारों के विपरीत व असंवैधानिक है। साथ ही सरकार द्वारा कोर्ट के समक्ष यह तर्क हास्यास्पद है कि हम बीएड को रोजगार अधिक अवसर दे रहे है।
यदि ऐसा है तो डीएलएड, डीएड, बीएसटीसी को उच्च शिक्षा हेतु उपयुक्त व्यावसायिक प्रशिक्षण मान इन्हें कर चुके अभ्यार्थियों को भी उच्च शिक्षा हेतु अवसर देना चाहिये था जो कि नहीं दिया गया है व एनसीटीई ने 28 जून 2018 के पहले क्यों बीएड को प्राथमिक शिक्षण से बाहर रखा व फिर अचानक एक मनमाना फैसला लेकर अभ्यार्थियों मे ही वैमनस्य पैदा कर दिया व प्राथमिक छात्रों के शिक्षा संबंधी अनिवार्य मूल संवैधानिक अधिकार मे विसंगति उत्पन्न कर दी।
अब फैसला सरकार को करना है जिस ब्रिज कोर्स के बाद बीएड उपयुक्त होगा प्राथमिक शिक्षण मे, उसका तो न कोर्स का पता है न कराने वाले संस्था का। फिर इतनी बड़ी विसंगति करके क्यों प्राथमिक छात्रों व डीएलएड, डीएड छात्रों के साथ अन्याय किया जा रहा है। जिस प्रकार मरीज का आपरेशन करने के लिये एलोपैथिक चिकित्सक को ही उपयुक्त माना गया है, उसी प्रकार प्राथमिक के छात्रों के मनोविज्ञान को प्राथमिक शिक्षण हेतु उपयुक्त व्यावसायिक योग्यताधारी ही समझ कर शिक्षा दे सकता है। इस तथ्य की क्यों अनदेखी की गयी है।
साथ ही म.प्र.प्राथमिक शिक्षक भर्ती माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अध्याधीन है तो तत्काल इस पर माननीय न्यायालय के निर्णय अनुसार उचित व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त आवेदकों से ही प्राथमिक शिक्षक पदों पर पद पूर्ति करना चाहिये। सादर धन्यवाद, आशीष कुमार
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