मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर में आज ओबीसी उम्मीदवारों की उस याचिका पर पहली सुनवाई हुई, जिन्हें सरकारी नौकरी भर्ती प्रक्रिया में सामान्य प्रशासन विभाग के 87-13 फार्मूले के तहत 13% में होल्ड पर डाल दिया गया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद साह तथा राम भजन लोधी ने जस्टिस स्टील लागू तथा जस्टिस एके सिंह की खंडपीठ के समक्ष तर्क प्रस्तुत किए। हाईकोर्ट ने अगले सप्ताह सुनवाई नियत की है और शासकीय अधिवक्ता को निर्देशित किया है कि वह शासन से इंस्ट्रक्शन लेकर आएं।
GAD-MP ने OBC को पहले 27% आरक्षण दिया फिर 13% होल्ड कर दिया
अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, मध्यप्रदेश शासन की ओर से ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए पहले 27% आरक्षण लागू किया गया। इसके बाद जब विवाद की स्थिति बनी तो महाधिवक्ता महोदय के अभिमत दिनांक 16 जून 2023 के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने 26 जून 2023 को एक परिपत्र जारी करके ओबीसी के 27% में से 14% को नियुक्ति देने और 13% को आगामी आदेश तक होल्ड कर देने का परिपत्र जारी कर दिया।
किसको नियुक्ति देना है किसको होल्ड करना है कोई नियम नहीं
अधिवक्ताओं ने उच्च न्यायालय को बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग के इस परिपत्र के जारी हो जाने के बाद से लेकर अब तक कुल 7 विभागों में नियुक्तियां संपन्न हो चुकी हैं। 800 से अधिक ओबीसी उम्मीदवारों को उपरोक्त परिपत्र के कारण चयन से वंचित कर दिया गया। इनमें से 275 उम्मीदवार ऐसे हैं, जो पूर्व में विभिन्न विभागों में संविदा कर्मचारी के पद पर सन 2012 से लगातार कार्यरत थे। डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के समय उनसे इस्तीफा दिलाया गया। इसके बाद 13% HOLD वाली लिस्ट में डाल दिया गया।
उम्मीदवारों ने सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 26 जून 2023 को जारी हुए 13% HOLD वाले परिपत्र की संवैधानिकता को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। बताया है कि यह परिपत्र आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(2), 4(4) तथा 21 के विरुद्ध है। इतना ही नहीं मेरिट लिस्ट में कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को नियुक्ति दे दी गई है जबकि अधिक अंक प्राप्त करने वाले कैंडिडेट्स को HOLD कर दिया गया।
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