जब कोई पक्षकार किसी न्यायलय के निर्णय, आदेश, डिक्री से संतुष्ट नहीं है तब वह सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 41 के अंतर्गत अपीलीय न्यायालय में किसी भी मूल डिक्रियो, आदेशो आदि के विरुद्ध अपील लगा सकता है। जिसमे वह डिक्री को निरस्त या संशोधन करवाने की प्रार्थना न्यायलय से कर सकता है। एकपक्षीय मूल डिक्री की अपील सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 96 के अंतर्गत की जाती है।
जानिए अपील (Appeal) क्या है
अपील नागरिकों का एक कानूनी अधिकार है, जो हमेशा अपीलीय न्यायालय में ही लगाया जाता है। अपील प्रथम एवं द्वितीय होगी अर्थात अपील प्रथम मूल डिक्री की होगी, द्वितीय अपीली डिक्री के विरुद्ध होगी, अपील की सुनवाई अपीलीय न्यायालय में कोई भी न्यायाधीश कर सकता है। अपील हमेशा किसी भी दुःखी व्यक्ति द्वारा लगाई जा सकती है। अपील करने की एक परिसीमा होती है लेकिन विशेष परिस्थितियों में अपील देरी से भी लगाई जा सकती है।
अपील किस न्यायालय में लगाई जाती है जानिए
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 106 में बताया गया है कि अपील के लिए दो मुख्य न्यायलय होते हैं
1. जिला जज न्यायालय।
2. राज्य हाईकोर्ट।
प्रथम अपील के लिए हमेशा जिला जज न्यायालय या हाईकोर्ट होगा लेकिन द्वितीय अपील के लिए हमेशा उच्च न्यायालय ही होता है।
नोट:- जब कोई निर्णय, डिक्री, आदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित किया गया है, तब सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 109 के अंतर्गत इनकी अपील सुप्रीम कोर्ट में की जा सकती है। यह प्रावधान भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 133 से लिया गया है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com