Rajiv Gandhi praudyogiki Vishwavidyalay, bhopal News
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्रावास में विद्यार्थियों को किस प्रकार से लावारिस छोड़ दिया जाता है। इसका खुलासा करने वाला मामला सामने आया है। एक छात्र को खून की उल्टी हुई। वह तड़प रहा था लेकिन यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने कोई मदद नहीं की। एंबुलेंस खड़ी थी परंतु ना तो उसकी चाबी थी और ना ही ड्राइवर। यहां तक कि कुलपति से लेकर सिक्योरिटी गार्ड तक किसी ने भी 108 एंबुलेंस तक नहीं बुलाई। बाद में बच्चों ने एक संविदा शिक्षक को सारी स्थिति बताइए। संविदा शिक्षक ने एंबुलेंस बुलाई और छात्र को अस्पताल भिजवाया।
छात्रों ने सबको फोन लगाया, किसी ने नहीं उठाया
जानकारी मिली है कि, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के एपीजे अब्दुल कलाम आजाद हॉस्टल में शुक्रवार रात एक छात्र अविनाश की तबीयत खराब हो गई। रात 12 बजे के बाद से छात्र की तबीयत खराब हो रही थी, लेकिन रात साढ़े तीन बजे के बाद तबीयत ज्यादा खराब होने लगी थी। खून उल्टियां हुई। इसे देखकर अन्य साथी छात्र घबरा गए। मदद के लिए जिम्मेदारों को फोन लगाना शुरू किया, लेकिन समय पर कॉल रिसीव नहीं हुए। उसे हॉस्पिटल ले जाने के लिए एंबुलेंस की सहायता के लिए इधर-उधर भागे।
इमरजेंसी के बावजूद कोई मदद करने तैयार नहीं
कुछ छात्र विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर पहुंचे, लेकिन वहां से जवाब मिला कि एंबुलेंस नहीं मिल पाएगी। उनके पास एंबुलेंस की चाबी भी नहीं है। छात्र की तबीयत ज्यादा बिगड़ती देख छात्र इतने परेशान थे कि उन्हें कैंपस में रहने वाले कुछ घरों के दरवाजे भी खटखटाए, ताकि उन्हें कोई चारपहिया वाहन मिल जाए, लेकिन वहां से भी कोई सहायता नहीं मिली।
अतिथि विद्वान ने जान बचाई, एंबुलेंस बुलाई, अस्पताल भेजा
घबराए छात्र ने एक कांट्रेक्ट फैकल्टी को फोन लगाया। फिर कांट्रेक्ट फैकल्टी ने इमरजेंसी सेवा 108 पर कॉल कर एंबुलेंस बुलाई। इसके बाद सुबह 5 बजे के बाद छात्र हमीदिया हॉस्पिटल पहुंचा। यह छात्र अविनाश स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी से पीएचडी कर रहा है। हालांकि, छात्र अविनाश हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर वापस हॉस्टल गया है।
एंबुलेंस इंचार्ज ने कहा मेरा नहीं प्रशासन का काम है
डॉ. भूपेंद्र सिंह, एंबुलेंस इंजार्च, आरजीपीवी का कहना है कि, ड्राइवर की ड्यूटी प्रशासन द्वारा लगाई जाती है। ड्राइवर कहां रहता है, यह बात प्रशासन को देखनी चाहिए। मुझे सुबह लगभग 5 बजे के बाद घटना की जानकारी मिली। मैंने तत्काल ड्राइवर से संपर्क किया। उस तक सहायता पहुंचती, तब तक छात्र हॉस्पिटल जा चुका था।’
डायरेक्टर ने कहा कि हमने सहायता पहुंचा दी थी
प्रो. एसएस भदौरिया, डायरेक्टर, यूआईटी ने कहा कि मेरे पास सुबह 5 बजे कॉल आया था। जानकारी मिलते ही सहायता पहुंचाई गई। छात्र को देखने हॉस्पिटल दो वार्डन गए। छात्र की गाइड भी हॉस्पिटल गईं। विवि प्रशासन से चर्चा कर व्यवस्थाओं में सुधार किया जाएगा।’
लापरवाहों की यूनिवर्सिटी में कोई भी हादसा हो सकता है
छात्रों द्वारा सुनाया गया घटना का विवरण, एंबुलेंस इंचार्ज और डायरेक्टर के बयान के बाद एक बात स्पष्ट हो गई है कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का मैनेजमेंट इतना अधिक लापरवाह हो गया है कि, उसकी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। यहां के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से भागना और झूठ बोलना सीख गए हैं। कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है।
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