Madhya Pradesh Government employees news
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने एक याचिका की सुनवाई के बाद निर्धारित किया कि ग्रेच्युटी और अर्जित अवकाश, कर्मचारी का अधिकार है। यह सजायाफ्ता कर्मचारी को भी मिलनी चाहिए। किसी अपराध के लिए यदि उसे सजा मिली है तो इसके आधार पर ग्रेच्युटी और अर्जित अवकाश की राशि को राजसात नहीं किया जा सकता। ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
भुवन वास्कले विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन- इंदौर हाई कोर्ट
याचिकाकर्ता श्री भुवन वास्कले ने बताया कि वह संयुक्त रजिस्ट्रार के पद से सन 2014 में रिटायर हुए थे। सेवानिवृत्ति के आखिरी दिन डिपार्टमेंट ने उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी कर दिया और इसके कारण सन 2020 तक उन्हें उनकी ग्रेच्युटी नहीं दी गई। डिपार्टमेंट ने उनके खिलाफ एक क्रिमिनल केस भी रजिस्टर्ड करवा दिया और बाद में कोर्ट ने उन्हें दोषी घोषित करते हुए 2 साल की सजा सुनाई। न्यायालय द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद विभाग ने उनकी ग्रेजुएटी और अर्जित अवकाश की राशि को राजसात कर लिया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री आनंद अग्रवाल ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील प्रस्तुत करते हुए बताया कि पेंशन नियम एवं मध्य प्रदेश सेवा नियमों में कहीं पर भी कर्मचारी की ग्रेच्युटी की राशि को रोकने का प्रावधान नहीं है। अतः किसी भी स्थिति में कर्मचारी की ग्रेच्युटी की राशि को ना तो होल्ड किया जा सकता है और ना ही राजसात की जा सकती है। अधिवक्ता श्री अग्रवाल के इस तर्क से सहमत होते हुए हाईकोर्ट ने माना कि ग्रेच्युटी एवं अर्जित अवकाश कर्मचारी का अधिकार है। उसने जो भी अपराध किया उसके लिए उसे दंड निर्धारित किया जा चुका है। इसलिए उस अपराध के आधार पर ग्रेच्युटी एवं अर्जित अवकाश की राशि को राजसात नहीं कर सकते।
✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें एवं यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। यहां क्लिक करके व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल - व्हाट्सएप ग्रुप पर कुछ स्पेशल भी होता है