MP NEWS- सागर के भगवान सिंह लोधी एनकाउंटर मामले में हाईकोर्ट ने OIC को तलब किया

Bhopal Samachar
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जबलपुर। मध्य प्रदेश के सागर जिले में हुए भगवान सिंह लोधी एनकाउंटर मामले में उच्च न्यायालय ने प्रकरण के OIC को न्यायालय में तलब कर लिया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने मामले की मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट मांगी थी। OIC ने आधी अधूरी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसके बाद न्यायालय ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया। इस मामले में दो पुलिस कांस्टेबलों पर हत्या का आरोप है जबकि एसपी और टीआई पर हत्या का अपराध छिपाने के लिए पद का दुरुपयोग का आरोप है।

भगवान सिंह लोधी और रामगोपाल शुक्ला के बीच व्यक्तिगत रंजिश थी

मृतक की पत्नी एवं पिता ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका क्रमांक WP/15765/2006 एवं WP/16093/2006 दायर की थी। न्यायालय में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं श्री संजय पटेल ने पक्ष प्रस्तुत किया। याचिका में न्यायालय को बताया गया कि मध्य प्रदेश के सागर जिले की देवरी न्यायिक दंडाधिकारी की न्यायालय द्वारा पेशी पर उपस्थित नहीं होने के कारण भगवान सिंह लोधी का गिरफ्तार वारंट जारी हुआ था। इस वारंट की तामील के नाम पर पुलिस आरक्षक श्री राम गोपाल शुक्ला एवं भगवान सिंह लोधी के बीच जनवरी 2006 में लंदन के चलते विवाद हो गया था। तभी से पुलिस आरक्षक राम गोपाल शुक्ला मौके की तलाश में था। 

घर में घुसकर छाती पर गोली मारी और डकैत घोषित कर दिया

वारंट की तामील के बहाने पुलिस आरक्षक राम गोपाल शुक्ला ने अपने साथी पूरनलाल नगाइच के साथ दिनांक 20 सितंबर 2006 की सुबह याचिकाकर्ता के घर में घुसकर, अपने बिस्तर पर सो रहे भगवान सिंह लोधी को सीने में गोली मारकर हत्या कर दी। जब ग्रामीणों ने इस घटना का विरोध किया तो पुलिस ने मृतक भगवान सिंह लोधी सहित उसके पूरे परिवार के खिलाफ पुलिस टीम पर जानलेवा हमला करने का मामला दर्ज कर लिया तथा भगवान सिंह लोधी को एक कुख्यात डकैत बताकर एनकाउंटर में मार गिराना घोषित कर दिया। 

OIC ने पूरी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की

याचिका में आरोप लगाया था कि पुलिस कांस्टेबल श्री राम गोपाल शुक्ला एवं श्री पूरन लाल नगाइच ने साजिशन हत्या की और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मोहम्मद शाहिद अबसार तथा तत्कालीन थाना प्रभारी श्री जयराम उइके ने हत्या के आपराधिक मामले को एनकाउंटर बताया। हाईकोर्ट ने इस मामले में जवाब तलब किए परंतु कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। तब उच्च न्यायालय ने इस घटना की मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट कोशिश करने के आदेश दिए। दिसंबर 2022 में मामले के ओआईसी द्वारा पूरी रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई। जस्टिस विशाल धगट द्वारा दिनांक 15 जून 2023 के पूर्व संपूर्ण मजिस्ट्रियल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट उच्च न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश दिया तथा मामले के OIC को न्यायालय में हाजिर होने के निर्देश दिया है। 

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