Law for mental disabled criminals
किसी व्यक्ति द्वारा तथ्यों की भूल से कोई अपराध हो जाता है तो वह क्षमा योग्य होता है लेकिन कोई व्यक्ति मानसिक विक्षिप्त की स्थिति में कोई अपराध कर देता है और अपराध के कुछ समय बाद वह स्वस्थ हो जाता है तब क्या आरोपी को दोषमुक्त किया जाएगा या दोषसिद्ध, जानिए महत्वपूर्ण जानकारी।दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 333
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 333 कहती है कि अगर मजिस्ट्रेट को विचारण या जाँच के समय लगता है कि अपराध करते समय या जब उसने कोई भी अपराध किया था तब आरोपी व्यक्ति विकृतचित (Deranged) था लेकिन अब स्वास्थ्य है तब न्यायिक मजिस्ट्रेट से आरोपी के मामले को सत्र न्यायालय अर्थात सेशन कोर्ट को सौप देगा।
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 334
इसके बाद सेशन कोर्ट दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 334 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति को जिसने अपराध को मानसिक विक्षिप्तता में किया था, अभिलिखित करते हुए उस व्यक्ति को अपराध से दोषमुक्त कर देगा।कुल मिलाकर कहें तो यह धारा वहाँ लागू होती है जब कोई व्यक्ति पागलपन में कोई अपराध कर देता है एवं विचारण या जाँच के समय वह स्वास्थ्य हो जाता है तब उसे अपराध से दोषमुक्त कर दिया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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