भारत में साबुन 1897 में आया फिर 1518 में कबीरदास जी ने कैसे लिखा- बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय

Amazing facts in Hindi about Kabir Das

कबीरदास जी का यह दोहा भारत में लगभग सभी को याद होगा, निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय।बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। कबीर दास जी का पृथ्वी लोक से प्रस्थान सन 1518 में हुआ यानी उन्होंने यह दोहा इससे पहले लिखा था, जबकि भारत में पहला साबुन सन 1897 बनाया गया। सवाल यह है कि फिर कबीरदास जी को कैसे पता था साबुन क्या होता है। 

साबुन क्या होता है

उच्च अणु भार वाले कार्बनिक वसीय अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण के मिश्रण को साबुन कहते हैं। साबुन का सबसे पहला उल्लेख रोमन विद्वान Pliny the Elder की किताब “Naturalis Historia” में मिलता है। यह किताब 77 ईसवी में लिखी गई थी। यानी उस समय साबुन अस्तित्व में था। लेकिन तब साबुन वैसा नहीं रहा जैसा आज दिखाई देता है। पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों में लोग साबुन के नाम पर कई प्रकार के मिश्रण तैयार कर रहे थे जिनका उपयोग व सफाई के लिए किया करते थे। प्राचीन मेसोपोटामिया के लोग फैटी एसिड को पकाकर साबुन बनाते थे। इसमें जैसे गाय, भेड़ या बकरी से निकाली गई चर्बी, पानी और छारीय पदार्थ मिलाते थे। इससे गंदगी तो साफ हो जाती थी लेकिन काफी बदबू आती थी। 

कबीर दास जी ने अपने दोहे में साबुन शब्द का उपयोग क्यों किया

हिंदी के कुछ विद्वानों का मानना है कि भारत में साबुन पुर्तगालियों के साथ 1498 में आया था। कबीर दास जी का निधन 1518 में हुआ। अतः उनके समय में साबुन भारत में आ गया था परंतु इतिहासकार कहते हैं कि सन 1518 तक भारत में पुर्तगालियों का व्यापार और व्यवहार इतना अधिक नहीं बन पाया था कि वह मगहर में बैठे कबीर दास जी के सामने साबुन का प्रेजेंटेशन दे पाते। 

इतिहासकारों का कहना है कि साबुन एक फारसी शब्द है और कबीर दास जी के समय अरबी एवं फारसी भाषा का प्रचलन भारत में काफी हो चुका था। अतः यह माना जाता है कि कबीर दास जी ने फारसी शब्द साबुन का उपयोग अपने दोहे में किया है। उनके जमाने में साबुन आ गया था परंतु वह टिकिया (BAR) के रूप में नहीं था। 

आजकल जो दिखाई देता है उस साबुन का भारत में सबसे पहला उत्पादन नॉर्थ वेस्ट सोप कंपनी द्वारा किया गया परंतु यह कंपनी ज्यादा सफल नहीं हो पाई। भारत में साबुन को लोकप्रियता देने वाले व्यक्ति का नाम है श्री जमशेदजी टाटा। उन्होंने 1918 में केरल के कोच्चि में ओके, कोकोनट ऑयल मिल्स खरीदी और देश की पहली स्वदेशी साबुन निर्माण इकाई स्थापित की। 

OK- भारत का पहला स्वदेशी साबुन है। 

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