MP NEWS- कर्मचारियों के 50 करोड रुपए अटके, स्वास्थ्य विभाग वाले रीइंबर्समेंट नहीं कर रहे

Madhya Pradesh Government employees news

शासकीय कर्मचारी हमेशा कैशलेस इलाज की मांग करते रहते हैं परंतु उनकी मांग पूरी नहीं की जाती। आश्वासन दिया जाता है कि वह प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने बाद में इलाज पर जितना भी खर्चा आएगा शासन की तरफ से उसका भुगतान कर दिया जाएगा लेकिन मध्यप्रदेश चिकित्सा परिचर्या नियम 2022 में प्रक्रिया को इतना जटिल कर दिया गया है कि क्लेम की फाइल किसी ना किसी टेबल पर अटक ही जाती है। 

मध्यप्रदेश चिकित्सा परिचर्या नियम 2022 में प्रॉब्लम क्या है

दिनांक 3 अगस्त 2022 को मध्यप्रदेश चिकित्सा परिचर्या नियम में संशोधन किया गया था। कहा गया था कि यह संशोधन फर्जी मेडिकल बिल रोकने और कर्मचारियों को बेहतर इलाज प्राप्त करने में मदद करेंगे। इसके तहत कुल 1853 पैकेज बनाए गए हैं, जिनके तहत मेडिकल बिल पास किया जाता है। कर्मचारियों को इसके बारे में जानकारी नहीं है। वह समझ पाने में असफल होते हैं कि उनका केस किस पैकेज के तहत आएगा। शासन की ओर से उनकी मदद के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। नतीजा, कर्मचारी पुरानी पद्धति के अनुसार मेडिकल बिल लगा रहे हैं और पैकेज डिटेल नहीं होने के कारण उनका क्लेम होल्ड कर दिया जाता है। 

छोटी सी समस्या बड़ा मुद्दा बनती जा रही है 

शासन स्तर पर की गई गलती के कारण उपस्थित हो गई छोटी सी समस्या अब बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। अकेले राजधानी भोपाल के करीब एक हजार शासकीय कर्मचारियों के मेडिकल बिल होल्ड पर चल रहे हैं। एक अनुमान लगाया गया है कि पूरे मध्यप्रदेश में 5000 से अधिक कर्मचारियों के मेडिकल बिल होल्ड कर दिए गए हैं और इनकी कुल रकम 50 करोड़ रुपए से ज्यादा है। यदि कर्मचारियों को गाइड करने के लिए व्यवस्था बना दी जाए तो सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी परंतु स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का रवैया कुछ ऐसा है मानो योजना संचालित भी करनी है और खर्चा भी नहीं करना। 

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