Who can withdraw criminal cases, trial in the court
जब कोई पीड़ित व्यक्ति पुलिस थाने में किसी अपराध की एफआईआर दर्ज करवाता है एवं एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस अन्वेषण कर रिपोर्ट (चार्जशीट) न्यायालय को सौंप दी जाती है तब पीड़ित व्यक्ति के लिए सरकार की ओर से शासकीय वकील अर्थात लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक की नियुक्ति की जाती है और यह सरकार या पीड़ित पक्षकार की तरफ से पैरवी करता है। अब सवाल यह है कि, कोई लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक को यह शक्ति प्राप्त होती है कि वह मामले को वापस ले सकता है जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 321 की परिभाषा संक्षिप्त एवं सरल शब्दों में
किसी भी मामले की पैरवी करने वाला लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक निर्णय सुनाए जाने से पहले किसी समय किसी व्यक्ति के आपराधिक मामले को या साधारणत: उन अपराधों को जिनका विचारण एक से अधिक बार अन्य न्यायालय द्वारा किया जा रहा है उनको न्यायालय की सहमति या मंजूरी से वापस ले सकता है।
अभियोजन वापस लेने के बाद या तो आरोपी को उन्मोचित किया जा सकता है या उसे अपराध से दोषमुक्त किया जा सकता है।
लेकिन अगर कोई अपराध :-
1. किसी विधि के विरुद्ध है एवं जिसका विस्तार भारत संघ की कार्यपालिका की शक्ति के अधीन है।
2. ऐसा अपराध दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम 1946 के अधीन दिल्ली विशेष पुलिस द्वारा किया गया है।
3. ऐसा कोई अपराध केंद्र सरकार की किसी सम्मति को दुर्विनियोग नाश (नष्ट) नुकसान का है।
4. ऐसा कोई अपराध केंद्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के द्वारा किया गया है अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन मे किया गया है।
तब केंद्रीय सरकार की मंजूरी आवश्यक है, उसके बाद न्यायालय की मंजूरी के बाद अभियोजन वापस लिया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com