Legal action to embezzlement in company by private employee
यदि किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा शासकीय धन का गबन किया जाता है तो उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई होती है परंतु यदि कोई प्राइवेट कर्मचारी कंपनी के धन में गबन करेगा तो उसके खिलाफ कौन सी धारा लगेगी। आइए जानते हैं।
आईपीसी की धारा 408- गिरफ्तारी, जमानत, सजा एवं समझौता के नियम
यदि कोई प्राइवेट कर्मचारी अपनी कंपनी अथवा नियोक्ता के साथ विश्वासघात करता है। उसके धन का गबन करता है। तब ऐसे व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 408 के तहत पुलिस थाने में आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाता है।
आईपीसी की धारा 408 का अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होता है अर्थात पुलिस थाना अधिकारी ऐसे अपराध की तुरंत एफआईआर दर्ज करेगा एवं जमानत के लिए न्यायालय में आवेदन करना होगा। इस अपराध की सुनवाई प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है,इस अपराध के लिए अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माना, दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 408 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320 की उपधारा (2) के अनुसार लिपिक या सेवक द्वारा आपराधिक न्यासभंग का अपराध समझौता योग्य अपराध है इस अपराध का समझौता न्यायालय की आज्ञा पर या न्यायालय की मंजूरी के उस व्यक्ति या कम्पनी स्वामी से किया जा सकता है जो उसका स्वामी हो।
Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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