जबलपुर। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर द्वारा घोषित किए गए राज्य सेवा परीक्षा 2019 और 21 के परिणामों में आरक्षण के विवाद को लेकर ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन का कहना है कि हमें यह आदेश मंजूर नहीं है। हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करेंगे।
MPPSC 2019-21 मेरिटोरियस मामला- याचिकाकर्ताओं का पक्ष
उल्लेखनीय है कि पीएससी ने 2019 तथा 2021 के परिणाम 10 अक्टूबर, 2022 व 20 अक्टूबर 2022 को घोषित किए थे। आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों ने इन परिणामों को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा परीक्षा नियम 2015 व सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए तर्क दिया गया कि परीक्षा के प्रत्येक चरण में अनारक्षित सीटों में मेरिट के आधार पर सभी वर्गों का चयन किया जाना चाहिए। यह दलील भी दी गई कि सुप्रीम कोर्ट के सैकड़ों फैसलों में यह स्पष्ट किया गया है कि हाई कोर्ट को नियम बनाने की शक्ति नहीं, अपितु सरकार द्वारा बनाए नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी है।
MPPSC 2019-21 मेरिटोरियस मामला- हाई कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस उम्मीदवारों का प्रत्येक चरण में अनारक्षित वर्ग में चयन नहीं होगा। अंतिम चरण के समय मेरिट के आधार पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हो सकता है। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) व परीक्षा नियम 2015 का प्रवर्तन परीक्षा की अंतिम चयन सूची बनाते समय लागू किया जाएगा। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने इस मत के साथ पीएससी परीक्षा 2019 व 2021 के परीक्षा परिणामों को चुनौती देने वाली तीन याचिकाएं निरस्त कर दीं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन अधिवक्ताओं रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह व उदय कुमार साहू सहित अन्य ने पक्ष रखा। एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि हाई कोर्ट के उक्त आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की जाएगी।
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