Madhya Pradesh Public Service Commission, Indore द्वारा राज्य सेवा परीक्षा 2019 और 2021 के घोषित परीक्षा परिणामों के खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लगाई गई वह याचिका निरस्त हो गई है जिसमें परीक्षा प्रक्रिया के सभी चरणों में आरक्षण के लाभ की मांग की गई थी।
जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद डिसीजन सुनाया। याचिकाकर्ताओं की तरफ से मांग की गई थी कि उन्हें परीक्षा प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में, जब भी रिजल्ट जारी होता है आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया था कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सेवा परीक्षा 2019 एवं 2021 के रिजल्ट में आरक्षण के नियमों का उल्लंघन किया गया है।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस उम्मीदवारों का प्रत्येक चरण में अनारक्षित वर्ग में चयन नहीं होगा। अंतिम चरण के समय मेरिट के आधार पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हो सकता है। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) व परीक्षा नियम 2015 का प्रवर्तन परीक्षा की अंतिम चयन सूची बनाते समय लागू किया जाएगा।
प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने इस मत के साथ पीएससी परीक्षा 2019 व 2021 के परीक्षा परिणामों को चुनौती देने वाली तीन याचिकाएं निरस्त कर दीं।
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