MP karmchari news- प्रतिनियुक्ति कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है, कभी भी समाप्त की जा सकती है: हाई कोर्ट

जबलपुर
। शासकीय कर्मचारी की किसी भी दूसरे विभाग में अथवा किसी अन्य पद पर प्रतिनियुक्ति कोई अनुबंध नहीं है, जिसमें शर्तें निर्धारित होती हो। शासन अपनी आवश्यकता के अनुसार किसी भी कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति पर भेज सकता है और कभी भी मूल विभाग में वापस बुला सकता है। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर के कुलसचिव जेपी मिश्रा के प्रकरण से यह तथ्य प्रमाणित होता है। उच्च न्यायालय ने उनकी उस याचिका को निरस्त कर दिया है। जिसमें उन्होंने अपनी प्रतिनियुक्ति समाप्त किए जाने के के आदेश को चुनौती दी थी।

प्रतिनियुक्ति की लास्ट डेट से पहले वापस बुला लिया गया था 

न्यायमूर्ति आनंद पाठक की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता वेदप्रकाश तिवारी ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता प्रतिनियुक्ति पर कुलसचिव नियुक्त किया गया था। राज्य सरकार ने 28 दिसंबर, 2022 को एक आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को उनके मूल विभाग यानी उच्च शिक्षा विभाग में वापस भेज दिया। 

मूल रूप से याचिकाकर्ता की नियुक्ति 1983 में उच्च शिक्षा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुई थी। वर्ष 2021 में उन्हें प्रतिनियुक्ति पर छत्रसाल विवि में प्रतिनियुक्ति पर कुलसचिव बनाया गया। इसके बाद दो बार कार्यकाल बढ़ाया गया। याचिकाकर्ता का कार्यकाल 14 मार्च 2023 को समाप्त होना है, लेकिन उसके पहले ही उनकी सेवाएं उच्च शिक्षा विभाग को सेवाएं वापस सौंप दी गईं। 

राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह अपने कर्मचारी की सेवाएं वापस मूल विभाग में ट्रांसफर कर सकती है। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन की कार्रवाई को उचित पाते हुये याचिका निरस्त कर दी। 

✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें एवं यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल पर कुछ स्पेशल भी होता है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !