भोपाल। मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय की टैबलेट पॉलिसी को 191426 शिक्षकों ने नामंजूर कर दिया है। इस पॉलिसी के खिलाफ सभी शिक्षक लामबंद हो गए हैं। उनका कहना है कि जिस प्रकार की शर्तें रखी गई है, उन्हें मंजूर नहीं है। पॉलिसी को बदलकर व्यवहारिक किया जाए। इधर कुछ जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों ने कहा है कि यदि शिक्षकों ने फरवरी के महीने में टेबलेट नहीं खरीदे तो उनका वेतन रोक लिया जाएगा।
मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा टैबलेट विवाद का विवरण
- स्मार्ट स्कूल बनाने के लिए 191426 शिक्षकों को टैबलेट खरीदने के आदेश दिए गए हैं।
- टैबलेट खरीदने के बाद बिल प्रस्तुत करने पर उन्हें ₹10000 का भुगतान किया जाएगा।
- यदि टैबलेट चोरी हो जाता है तो इसके लिए शिक्षक जिम्मेदार होगा।
- यदि टैबलेट खराब हो जाता है तो इसके लिए शिक्षक जिम्मेदार होगा।
- सरकार अपनी तरफ से एंटीवायरस भी नहीं देगी।
- सरकार से मिलने वाले ₹10000 के बदले शिक्षक को 4 साल तक टैबलेट चलाना होगा और इस दौरान टैबलेट सरकार की संपत्ति मानी जाएगी।
स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय की पॉलिसी के अनुसार सभी शिक्षकों को एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने होंगे जिस पर यह सभी शर्तें लिखी हुई है। शिक्षकों का कहना है कि स्मार्ट क्लास के लिए जिस कॉन्फ़िगरेशन का टैबलेट चाहिए वह ₹10000 में नहीं आता बल्कि कम से कम ₹15000 में आता है। चोरी होने की जिम्मेदारी हम ले सकते हैं लेकिन उसके खराब होने पर उसे सुधारने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी होगी।
उपेन्द्र कौशल, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, शासकीय शिक्षक संगठन का कहना है कि यह पॉलिसी शुरू से अंत तक गलत है। यदि सरकार अपने कर्मचारी से किसी मशीन के माध्यम से काम कराना चाहती है तो मशीन की खरीदी सरकार को करनी होगी। मशीन का रखरखाव और उसके खराब होने पर उसकी मरम्मत की जिम्मेदारी भी सरकार की होती है। कल को सरकार कहेगी कि अपनी कक्षा के लिए फर्नीचर भी शिक्षक को खरीदने पड़ेंगे और प्राचार्य को भवन निर्माण कराना पड़ेगा तो कैसे चलेगा।
✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें एवं यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल पर कुछ स्पेशल भी होता है।