दूसरी शादी के बावजूद महिला पहले पति की उत्तराधिकारी, सिविल कोर्ट का फैसला - Karmchari Samachar

नई दिल्ली।
गुजरात की एक सिविल कोर्ट में शासकीय कर्मचारी की मृत्यु हो जाने के बाद उसकी विधवा पत्नी द्वारा दूसरी शादी कर लिए जाने के बावजूद उसे व्रत कर्मचारी की उत्तराधिकारी घोषित करते हुए कर्मचारी की मृत्यु के बाद मिलने वाले शासकीय लाभ में कर्मचारी की मां के साथ आधे लाभ का भागीदार घोषित किया है। 

सीआईएसएफ जवान राजेश पलाशपगर का मामला

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल सीआईएसएफ के जवान राजेश पलाशपगर का दिसंबर 2003 में एक सड़क दुर्घटना के कारण निधन हो गया था। सीआईएसएफ में 12 साल नौकरी करने के कारण उसके निधन के बाद 2 लाख रु से अधिक की नकदी उसके उत्‍तराधिकारी को मिलनी थी। विभाग ने उनके परिवार को संपर्क किया लेकिन परिवार ने कोई जवाब नहीं दिया, बाद में वर्ष 2011 में जवान के पिता शेषराव एवं माता विमलाबाई ने जवान के निधन के बाद मिलने वाले लाभ पर दावा जताया। 

हिंदू उत्‍राधिकारी कानून 1956 की धारा 8

स्वर्गीय राजेश पलाशपगर की पत्‍नी वर्षा ने भी इस पर दावा जताया तो परिवार का कहना था कि उसने सितंबर 2007 में दूसरा विवाह कर लिया है, इसलिए अब वह कानूनी रूप से इसकी हकदार नहीं है। सिटी सिविल जज बीना चौहान ने मां व पत्‍नी को बराबर की उत्‍तराधिकारी मानते हुए जवान की मौत के बाद मिलने वाले लाभ इन दोनों में बराबर बांटने का निर्णय किया। जज ने कहा कि हिंदू उत्‍राधिकारी कानून 1956 की धारा 8 के अनुसार मां व पत्‍नी दोनों इसकी हकदार हैं। 

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