भोपाल। मध्य प्रदेश की कोतवाल विधानसभा सीट से विधायक सुनील सराफ ने थाने के दरवाजे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ने साजिश करके झूठा मुकदमा दर्ज कराया है। इस दौरान टीआई उनके साथ मौजूद थे।
गृह मंत्री के निर्देश पर मुकदमा दर्ज हुआ था
विधायक सुनील सराफ का एक वीडियो वायरल हुआ था। नए साल के स्वागत की पार्टी में मंच से हवाई फायर करते हुए दिखाई दिए थे। गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के निर्देश पर अनूपपुर जिले के कोतमा पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 336 25(9) के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था। इसके बाद उनका लाइसेंसी हथियार, रिवाल्वर किया जाना था लेकिन पुलिस का कहना है कि वह अपने घर पर नहीं मिले। नियमानुसार उनके दरवाजे पर नोटिस चस्पा किया गया। 7 जनवरी तक का समय दिया गया।
थाने के दरवाजे पर आरोपी विधायक के लिए टेबल लगाई गई
इसी नोटिस के जवाब में विधायक सुनील सराफ अपने कुछ समर्थकों के साथ पुलिस थाने पहुंचे। थाने के दरवाजे पर उनके लिए टेबल लगाई गई। यहां उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए टेबल पर दो रिवाल्वर रखी। विधायक ने दावा किया कि एक उनकी लाइसेंसी रिवाल्वर है और दूसरा आतिशबाजी फोड़ने वाली रिवाल्वर। उन्होंने पूरे 11 मिनट तक पत्रकारों को संबोधित किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा पर उनके खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया। फिर दोनों रिवाल्वर पुलिस को सौंप दी। इस पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान टीआई उनके साथ मौजूद रहे।
कुछ सवाल जिनके जवाब जरूरी हैं
विधायक सुनील सराफ ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, जनता सब देख रही है और जनता सब जानती है। उनके मामले में यह फार्मूला 100% फिट बैठता है। जनता ने सब देखा है और जनता सब समझ रही है। कुछ सवाल भी है जिनके जवाब जरूरी है।
- यदि आतिशबाजी फोड़ी थी तो वीडियो वायरल होते ही खंडन क्यों नहीं किया।
- यदि आतिशबाजी फोड़ी थी तो मुकदमा दर्ज होते ही थाने क्यों नहीं आ गए।
- यदि आतिशबाजी फोड़ी थी तो दरवाजे पर नोटिस चस्पा होने का इंतजार क्यों किया।
दूध और पानी को अलग करने फॉरेंसिक जांच जरूरी
हालांकि नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने अपने बयान में माना कि उन्होंने फायर किया था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके विधायक ने हर्ष फायर किया था और हर्ष फायर करना अपराध नहीं है। उन्होंने अपने बयान में नकली रिवाल्वर की बात नहीं की थी लेकिन विधायक ने दावा किया है कि उन्होंने नकली रिवाल्वर चलाई थी। अब यह जानना जरूरी है कि एक जनप्रतिनिधि सच बोल रहा है या झूठ। कानून की रक्षा का वचन उठाने वाला कहीं कानून की आंखों में धूल तो नहीं झोंक रहा है। फॉरेंसिक जांच के माध्यम से पता चल जाएगा कि आतिशबाजी वाली रिवाल्वर कब बनाई गई और कितनी बार उपयोग की गई।
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