भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना काल में स्टूडेंट से शासकीय आदेश के अतिरिक्त फीस वसूलने के आरोप में सागर पब्लिक स्कूल भोपाल के खिलाफ फैसला सुनाया है। स्कूल को आदेश दिया है कि वह बच्चों की फीस लौटाए। स्कूल में कुल लगभग 20000 बच्चे थे। इनमें से 118 बच्चों की तरफ से याचिका प्रस्तुत की गई थी। इस फैसले के आधार पर विशेष 19800 बच्चे भी हाई कोर्ट में याचिका लगा सकते हैं।
माय पेरेंट्स एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि कोरोनावायरस संक्रमण काल में जब ऑनलाइन कक्षाएं चल रही थी और सरकार ने केवल ट्यूशन फीस की अनुमति दी थी तब सागर पब्लिक स्कूल ने बच्चों से आनलाइन तैराकी और डांस आदि के बहाने पूरा शुल्क वसूला। इस संबंध में माय पैरेंट्स एसोसिएशन ने 21 महीने तक लड़ाई लड़ी। माय पैरेंट्स एसोसिएशन ने 118 बच्चों की बढ़ी हुई फीस न केवल वापस ले ली। साथ ही न्यायालय के आदेश की अवमानना करने पर कोर्ट के सामने सागर पब्लिक स्कूल को झुकना पड़ा।
सागर पब्लिक स्कूल ने हाईकोर्ट में माफी मांगी
सागर पब्लिक स्कूल की ओर से कोर्ट में जो जवाब पेश किया गया। उसमें स्कूल प्रबंधन ने इसके लिए माफी मांगी। साथ ही 118 बच्चों की 20 लाख 62 हजार 430 फीस भी वापस लौटाने की बात कही है।
अभी सिर्फ 118 बच्चों को फीस वापस मिली है, सबको मिल सकती है
राजधानी के रोहित नगर, साकेत नगर, रातीबड़, कटारा हिल्स और गांधीनगर, अयोध्या बायपास में सागर पब्लिक स्कूल संचालित हो रहे हैं। इन सभी ब्रांचों में करीब 20 हजार बच्चे पंजीकृत हैं। अभी स्कूल ने सिर्फ उन 118 बच्चों की फीस वापस की है जो माय पेरेंट्स एसोसिएशन में पंजीकृत अभिभावक हैं। अभी 19 हजार से ज्यादा बच्चों की फीस इसमें शामिल नहीं है। इस फैसले के बाद यदि शेष बच्चे भी हाईकोर्ट में याचिका लगाते हैं तो उनकी फीस भी वापस हो सकती है।
अन्य अभिभावक भी कर सकते हैं शिकायत
माय पैरेंट्स एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता शैलेष बावा ने कहा कि न्यायालय का यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा। स्कूल के अन्य अभिभावक इस आदेश का हवाला देकर कोरोना काल में लिए गए संबंधित शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी या लोक शिक्षण संचालनालय आयुक्त से कर सकते हैं। तब भी सुनवाई न हो तो वे न्यायालय में भी याचिका लगा सकते हैं।
हाई कोर्ट में फैसला हो गया चेयरमैन को पता ही नहीं
सुधीर अग्रवाल, अध्यक्ष, सागर पब्लिक स्कूल से इस मामले में जब नई दुनिया के पत्रकार ने उनका स्टेटमेंट मांगा तो सुधीर अग्रवाल ने कहा कि, फीस के संबंध में न्यायालय ने कोई आदेश दिया है। इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है।