स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार क्या होता है, सरल हिंदी में जानिए- fundamental of Right

स्वतंत्रता के अधिकार को मूल अधिकारों में सबसे सर्वोच्च अधिकार माना जाता है, क्योंकि स्वतंत्रता ही जीवन है क्योंकि इस अधिकार के अभाव में मनुष्य के लिए अपने जीवन का विकास करना संभव नहीं है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 तक भारत के प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है लेकिन भारत के नागरिकों को संविधान द्वारा पूर्ण स्वतंत्रता नहीं दी गई है क्योंकि हमारा देश भारत के संविधान द्वारा प्रजात्रात्मक, लोकतांत्रिक, एवं कल्याणकारी राज्य की स्थापना करता है इसलिए अनुच्छेद 19 में मिलने वाले स्वतंत्रता के अधिकार पर अनुच्छेद 19 (2) के अंतर्गत कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं। 

जैसे कि भारत की प्रभुता एवं अखंडता को प्रभावित करने पर, राज्य की सुरक्षा को प्रभावित करने पर, विदेशी देशों के मंत्री संबंध को प्रभावित करने पर, लोक व्यवस्था-लोक शांति आदि को प्रभावित करने पर, शिष्टाचार-कदाचार, मान सम्मान को प्रभावित करने पर, न्यायालय की अवमानना पर, किसी अपराध को उकसाने पर, आम नागरिकों के हितों को प्रभावित करने पर एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति जनजाति के सदस्यों के हित का संरक्षण प्रभावित करने पर या इनके बारे में गलत बोलने पर भारतीय संविधान प्रतिबंध लगाता है।

भारतीय संविधान अधिनियम ,1950 के अनुच्छेद 19 में मिलने वाले नागरिकों के मौलिक अधिकार जानिए:-
(क). वाक्  स्वतंत्रता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (बोलने का अधिकार)।
(ख). शांति पूर्ण तरीके से सम्मलेन करने को स्वतंत्रता।
(ग). संस्था, संघ, संगठन एवं सहकारी समितिया बनाने की स्वतंत्रता।
(घ). भारत राज्य क्षेत्र में कहीं भी भ्रमण करने की स्वतंत्रता।
(ङ).  भारत के राज्य में कहीं भी निवास करने की स्वतंत्रता।
(छ). व्यापार, कारोबार, कोई व्यवसाय, उप-जीविका शुरू करने की स्वतंत्रता।

इस प्रकार भारतीय नागरिकों को अनुच्छेद 19(1) के अंतर्गत छः प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान की गई है एवं अनुच्छेद 19(2) में इन स्वतंत्रता पर लोकहित को ध्यान में रखते हुए कुछ रोक लगाई गई है।
✍️ लेखक बीआर अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !